BY: Yoganand Shrivastva
भारत की न्यूक्लियर रणनीति में बड़ा बदलाव क्यों?
स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब पाकिस्तान से अधिक परमाणु हथियारों का मालिक है। जहां पाकिस्तान लगातार तीसरे साल 170 न्यूक्लियर हथियारों पर स्थिर है, वहीं भारत की संख्या 180 तक पहुंच चुकी है। यह सवाल उठता है कि आखिर भारत क्यों अचानक अपने परमाणु जखीरे को बढ़ा रहा है? क्या यह चीन की आक्रामकता से निपटने की तैयारी है या कुछ और छिपी हुई रणनीति?
भारत ने पिछले दो वर्षों में क्या प्रगति की है परमाणु क्षेत्र में?
SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2023 से 2025 के बीच 16 नए परमाणु हथियार जोड़े हैं। यह सिर्फ संख्या में इजाफा नहीं है, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी भारत ने बड़ा कदम बढ़ाया है:
- कैनिस्टराइज्ड मिसाइल तकनीक अपनाई गई है, जिससे मिसाइलें तुरंत लॉन्च की जा सकती हैं।
- भारत अब MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicles) तकनीक पर काम कर रहा है, जो एक ही मिसाइल से कई लक्ष्य साधने में सक्षम बनाती है।
- अग्नि-5 मिसाइल को और उन्नत किया गया है, जिसकी मारक क्षमता 5000 किमी से अधिक है।
- INS अरिघात नाम की परमाणु पनडुब्बी को अगस्त 2024 में नौसेना में शामिल किया गया। यह समंदर के भीतर से परमाणु हमला करने में सक्षम है।
भारत ने अब तक पाकिस्तान से कम परमाणु हथियार क्यों रखे थे?
पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी के अनुसार, इसके पीछे तीन प्रमुख कारण थे:
- ‘नो फर्स्ट यूज’ पॉलिसी:
भारत ने 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद यह नीति अपनाई कि वह पहले हमला नहीं करेगा। इस रणनीति का उद्देश्य न्यूनतम संख्या में विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखना था। - भौगोलिक क्षेत्रफल का अंतर:
पाकिस्तान भारत के मुकाबले आकार में लगभग एक-चौथाई है। इसलिए भारत का मानना था कि कम संख्या में भी शक्तिशाली हथियार पाकिस्तान को पर्याप्त नुकसान पहुंचा सकते हैं। - तकनीक और संसाधनों का संतुलन:
भारत ने शुरुआती वर्षों में तकनीक पर ध्यान दिया, जबकि पाकिस्तान ने हथियारों की संख्या पर जोर दिया। भारत ने कम संसाधनों के साथ उच्च गुणवत्ता के हथियार बनाए।
भारत अब हथियार क्यों बढ़ा रहा है?
ORF के रक्षा विश्लेषक मनोज जोशी और सुशांत सरीन का मानना है कि भारत की नजर अब सिर्फ पाकिस्तान पर नहीं, बल्कि चीन पर भी है। इसके पीछे कई कारण हैं:
- चीन का परमाणु विस्तार:
चीन के पास फिलहाल करीब 600 परमाणु हथियार हैं और वह हर साल 100 नए हथियार जोड़ रहा है। - दो मोर्चों से खतरा:
पाकिस्तान और चीन की बढ़ती साझेदारी भारत के लिए दोहरे खतरे की स्थिति बना रही है। भारत की तैयारी इसी को ध्यान में रखकर हो रही है। - न्यूक्लियर डिटरेंस (प्रतिरोधकता):
हथियारों की संख्या बढ़ाकर भारत यह संकेत दे रहा है कि यदि दो मोर्चों से हमला होता है, तो वह पलटवार करने में पूरी तरह सक्षम है।
भारत चीन से मुकाबला कर सकता है?
- हथियारों की तुलना:
पाकिस्तान और चीन के कुल मिलाकर 770 परमाणु हथियार हैं, जो भारत से चार गुना ज्यादा हैं। - चीन की मिसाइल क्षमता:
चीन की DF-41 मिसाइल 12,000 से 15,000 किमी दूर तक निशाना साध सकती है, जो भारत की अग्नि-V से दोगुनी क्षमता की है। - भारत की प्रतिक्रिया क्षमता:
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चीन भारत के अधिकांश हथियार खत्म भी कर दे, तब भी भारत के पास जवाबी हमले के लिए पर्याप्त हथियार होंगे जो चीन के बड़े शहरों को तबाह करने की क्षमता रखते हैं।
भारत के परमाणु हथियार कहां रखे हैं और कैसे करता है सुरक्षा?
भारत आमतौर पर परमाणु हथियारों की लोकेशन और तैनाती को सार्वजनिक नहीं करता। हालांकि:
- शांति के समय में हथियारों और लॉन्चर्स को अलग-अलग रखा जाता है।
- अब कई हथियार अंडरग्राउंड बंकरों में लॉन्चर्स के साथ तैनात किए गए हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।
- मिसाइलें, पनडुब्बियां और एयरक्राफ्ट से परमाणु हथियार तैनात करने की क्षमता भारत के पास मौजूद है।
रणनीति बदल रही है, इरादे नहीं
भारत का परमाणु सिद्धांत अब भी ‘नो फर्स्ट यूज’ पर आधारित है, लेकिन सुरक्षा की जमीनी जरूरतों के चलते अब “क्वांटिटी + क्वालिटी” दोनों की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। पाकिस्तान की तुलना में भारत का फोकस अब चीन की चुनौती पर है, और इसके लिए हथियारों की संख्या, तकनीक, और तैनाती क्षमता तीनों को समान रूप से मजबूत किया जा रहा है।