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by-Ravindra Sikarwar

घटना: सुशासन तिहार के दौरान एक शर्मनाक घटना

बलरामपुर जिले के रामानुजगंज नगर पालिका में चल रहे सुशासन तिहार के दौरान एक अप्रत्याशित घटना सामने आई, जिसने “सुशासन” शब्द को कटघरे में खड़ा कर दिया। कार्यक्रम के दौरान स्थानीय नागरिकों ने PWD विभाग के कार्यपालन अभियंता मोहन राम भगत से नगर के रिंग रोड पर हो रहे नाली निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल किए। सवाल उठते ही अधिकारी महोदय असहज हो गए और मौके से शिविर छोड़कर जाने लगे।

पत्रकारों से बदसलूकी, मोबाइल तोड़ा गया
मौके पर मौजूद पत्रकारों ने जब इस पूरे घटनाक्रम को कवर करने की कोशिश की, तो अधिकारी बेकाबू हो गए। आरोप है कि उन्होंने पत्रकारों का मोबाइल छीन लिया और ज़मीन पर पटक कर तोड़ दिया। यह घटना न सिर्फ प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता पर भी चोट पहुंचाती है।

सवाल जो इस घटना ने खड़े कर दिए:

  • जब आम नागरिक सवाल पूछते हैं, तो अधिकारी क्यों असहज हो जाते हैं?
  • घटिया निर्माण की शिकायत को गंभीरता से लेने के बजाय उससे भागना क्या भ्रष्टाचार की ओर इशारा नहीं करता?
  • क्या यह निर्माण कार्य बिना अधिकारी की सहमति से हो सकता है?
  • जब जिम्मेदारी आपके पास है तो जवाबदेही से क्यों भाग रहे हैं?
  • क्या पत्रकारों के साथ इस तरह का व्यवहार लोकतंत्र में स्वीकार्य है?

जनता जानना चाहती है — ये अफसर किसके आदेश पर अपना मनमाना व्यवहार कर रहे हैं?

बलरामपुर में घटित यह घटना एक बार फिर बताती है कि “सुशासन” केवल कार्यक्रमों में भाषण देने से नहीं, बल्कि जवाबदेही और पारदर्शिता से आता है। यदि अधिकारी खुद को सवालों से ऊपर मानने लगे, तो फिर जनता किससे जवाब मांगे?

बाइट – शैलू गुप्ता, स्थानीय निवासी

बाइट  प्रतीक सिंह नेता प्रतिपक्ष नगर पालिका रामानुजगंज

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