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by-Ravindra Sikarwar

वाशिंगटन द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% का भारी टैरिफ लगाने के बाद, भारत सरकार ने इसके गंभीर आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी है। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, सरकार उन लक्षित उपायों पर विचार कर रही है जो प्रभावित उद्योगों और निर्यातकों को इस झटके से बचा सकते हैं। इस अप्रत्याशित कदम ने दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है।

प्रमुख प्रभावित क्षेत्र और सरकार की संभावित रणनीति:
50% टैरिफ का सबसे बड़ा असर भारत के उन प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर पड़ने की आशंका है जो अमेरिकी बाजार पर अत्यधिक निर्भर हैं। इनमें कपड़ा, रत्न और आभूषण, कृषि उत्पाद (विशेषकर समुद्री भोजन और मसाले) और कुछ फार्मास्युटिकल उत्पाद शामिल हैं। वाणिज्य मंत्रालय इन क्षेत्रों के साथ मिलकर एक रणनीति बना रहा है।

सरकार द्वारा विचार किए जा रहे संभावित उपायों में शामिल हैं:

  1. सब्सिडी और वित्तीय सहायता: सबसे बुरी तरह प्रभावित होने वाले निर्यातकों को सीधी वित्तीय सहायता या सब्सिडी प्रदान करना ताकि वे बढ़ी हुई लागत को सहन कर सकें।
  2. नए बाजारों की खोज: अमेरिकी बाजार से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए यूरोपीय संघ, आसियान और अफ्रीकी देशों जैसे नए बाजारों में भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देना।
  3. द्विपक्षीय वार्ता: राजनयिक चैनलों के माध्यम से अमेरिका के साथ बातचीत करना ताकि इस टैरिफ को कम करने या हटाने का अनुरोध किया जा सके।
  4. टैक्स में छूट: निर्यातकों पर कर के बोझ को कम करने के लिए विशेष टैक्स छूट या प्रोत्साहन देना।

उद्योग जगत और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस टैरिफ को लंबे समय तक लागू रखा जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इससे लाखों लोगों की नौकरी पर असर पड़ सकता है, खासकर कपड़ा और रत्न क्षेत्र में, जो बड़ी संख्या में रोजगार प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, भारत की व्यापार वृद्धि और विदेशी मुद्रा भंडार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सरकार ने हितधारकों को आश्वस्त किया है कि वह इस चुनौती से निपटने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। वाणिज्य मंत्री ने एक बयान में कहा कि “हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हमारे निर्यातकों को इस अचानक आए झटके से बचाया जाए और हम अपने उत्पादों के लिए नए रास्ते तलाशें।” यह स्थिति भारत के लिए अपनी वैश्विक व्यापार रणनीति में विविधता लाने की आवश्यकता पर भी जोर देती है।

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