by-Ravindra Sikarwar
सिंगापुर: अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग में अपने महत्वपूर्ण संबोधन के दौरान यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अमेरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में “वापस” आ गया है और इस क्षेत्र के प्रति उसकी प्रतिबद्धता दीर्घकालिक है। उन्होंने इंडो-पैसिफिक को संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए “प्राथमिकता वाला रंगमंच” बताते हुए क्षेत्र में अमेरिकी उपस्थिति और भागीदारी को और मजबूत करने का संकल्प लिया।
शांगरी-ला डायलॉग में अहम संबोधन:
क्षेत्रीय सुरक्षा पर एशिया के सबसे महत्वपूर्ण मंच, शांगरी-ला डायलॉग में ऑस्टिन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन की बढ़ती मुखरता और भू-राजनीतिक बदलावों के बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र वैश्विक शक्ति संतुलन का केंद्र बन गया है। उन्होंने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका केवल क्षणिक भागीदारी के लिए नहीं, बल्कि क्षेत्र के देशों के साथ स्थायी साझेदारी और सहयोग के लिए यहां है।
“अमेरिका वापस आ गया है” का निहितार्थ:
रक्षा मंत्री ऑस्टिन के इस बयान का गहरा निहितार्थ है। यह न केवल अमेरिकी विदेश नीति में इंडो-पैसिफिक के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अमेरिका अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर एक स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका यह कथन पूर्व अमेरिकी प्रशासन द्वारा इस क्षेत्र पर कम ध्यान दिए जाने की धारणा को भी दूर करने का प्रयास करता है।
दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और प्राथमिकता:
ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिका इंडो-पैसिफिक को केवल एक रणनीतिक क्षेत्र के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे क्षेत्र के रूप में देखता है जहां साझा मूल्यों और हितों के आधार पर संबंध बनाए जाते हैं। उन्होंने रक्षा सहयोग, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में क्षेत्रीय भागीदारों के साथ मिलकर काम करने की अमेरिकी इच्छा को दोहराया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति और क्षमताओं को बढ़ाया जाएगा ताकि किसी भी खतरे का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
चीन को परोक्ष संदेश
हालांकि ऑस्टिन ने किसी देश का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति और क्षेत्रीय दावों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के महत्व पर जोर दिया और कहा कि किसी भी देश को अपने पड़ोसियों को धमकाने या उन पर दबाव डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यह घोषणा क्षेत्र के कई देशों के लिए एक आश्वस्त करने वाला संदेश है, जो एक संतुलित क्षेत्रीय शक्ति संरचना चाहते हैं। अमेरिका की इस प्रतिबद्धता से इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों को नई गति मिलने की उम्मीद है।