by-Ravindra Sikarwar
इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक बेहद सराहनीय और अनूठी पहल की गई है। यहाँ एक नए और विशेष निवास केंद्र ‘स्नेहधाम’ की स्थापना की गई है, जिसका उद्देश्य अकेलेपन से जूझ रहे बुजुर्गों को एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्नेहपूर्ण वातावरण प्रदान करना है। यह केंद्र एक ऐसे घर के रूप में काम करेगा जहाँ बुढ़ापे में अपनों का साथ न होने पर भी सम्मान और देखभाल मिल सकेगी।
क्या है ‘स्नेहधाम’ और इसका उद्देश्य?
नाम के अनुरूप ही, ‘स्नेहधाम’ का लक्ष्य वरिष्ठ नागरिकों को सिर्फ एक छत देना नहीं है, बल्कि उन्हें एक परिवार जैसा माहौल देना है। यह उन बुजुर्गों के लिए एक सहारा बनेगा, जिनके बच्चे या परिवार दूर रहते हैं या जो किसी कारणवश अकेले रहने को मजबूर हैं।
यहाँ उन्हें सामाजिक मेलजोल, भावनात्मक समर्थन और एक सामुदायिक जीवन का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा, जिससे वे अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में भी खुश और सक्रिय रह सकें। इसका मुख्य उद्देश्य अकेलेपन और अवसाद को दूर कर उन्हें एक गरिमापूर्ण और आनंदमय जीवन जीने में मदद करना है।
मिलेंगी आधुनिक सुविधाएं और सेवाएँ:
‘स्नेहधाम’ में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा गया है। यह केंद्र उन्हें कई तरह की आधुनिक सुविधाएं और सेवाएँ प्रदान करता है:
- चिकित्सा सुविधा: यहाँ 24 घंटे मेडिकल सहायता, नियमित स्वास्थ्य जांच और आपातकालीन स्थितियों के लिए चिकित्सा स्टाफ की व्यवस्था है।
- पौष्टिक भोजन: सभी के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार संतुलित और पौष्टिक आहार की व्यवस्था की गई है।
- मनोरंजन और गतिविधियाँ: बुजुर्गों के मनोरंजन के लिए योग, ध्यान, भजन-कीर्तन, सत्संग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का नियमित आयोजन किया जाता है।
- शांत और सुरक्षित वातावरण: यह परिसर सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में है और चारों ओर हरियाली से घिरा एक शांत और सुरक्षित माहौल प्रदान करता है।
- समर्पित स्टाफ: बुजुर्गों की देखभाल के लिए प्रशिक्षित और संवेदनशील कर्मचारियों की एक टीम 24×7 उपलब्ध है।
एक नेक पहल और समाज को संदेश:
इस तरह के केंद्रों की स्थापना समाज में बढ़ती बुजुर्गों की उपेक्षा की समस्या का एक प्रभावी समाधान है। यह पहल स्थानीय सामाजिक संगठनों के सहयोग से शुरू की गई है, जो यह दिखाता है कि कैसे समाज मिलकर अपने बुजुर्गों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा सकता है।
इंदौर का ‘स्नेहधाम’ एक मॉडल के रूप में उभरा है, जिसे देश के अन्य शहरों में भी अपनाया जाना चाहिए। यह एक प्रेरणा है जो यह संदेश देती है कि बुजुर्ग हमारे समाज की धरोहर हैं, और उन्हें जीवन के इस पड़ाव पर भी सम्मान और स्नेह मिलना चाहिए।