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by-Ravindra Sikarwar

तिरुवनंतपुरम, केरल: भारत के दक्षिणी राज्य केरल में एक अजीबोगरीब स्थिति बनी हुई है, जहां ब्रिटेन का एक अति-आधुनिक और बेहद महंगा F-35B स्टील्थ लड़ाकू जेट पिछले 10 दिनों से तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर फंसा हुआ है। लगभग 110 मिलियन डॉलर (लगभग 915 करोड़ रुपये) मूल्य का यह विमान एक आपातकालीन लैंडिंग के बाद यहीं खड़ा है और इसे वापस ले जाने की कोशिशें जारी हैं।

घटना का विवरण:
जानकारी के अनुसार, ब्रिटिश रॉयल नेवी का यह F-35B जेट भारतीय नौसेना के साथ एक संयुक्त अभ्यास में भाग लेने के बाद ब्रिटेन के एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ विमानवाहक पोत पर लौट रहा था। यह घटना 15 जून 2025 को हुई, जब उड़ान के दौरान विमान में कथित तौर पर तकनीकी खराबी आ गई। पायलट ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्काल आपातकालीन लैंडिंग के लिए तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर उतरने का फैसला किया।

लैंडिंग सुरक्षित रूप से संपन्न हुई और पायलट भी सुरक्षित है। हालांकि, उसके बाद से ही विमान को वापस ले जाने या उसकी मरम्मत करने का काम अटका हुआ है।

$110 मिलियन का जटिल विमान:
F-35B लाइटनिंग II एक पांचवीं पीढ़ी का मल्टीरोल स्टील्थ लड़ाकू विमान है, जिसे अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने विकसित किया है। यह अपनी स्टील्थ क्षमताओं (रडार से बचने की क्षमता), उन्नत एवियोनिक्स और वर्टिकल लैंडिंग/टेक-ऑफ (STOVL – Short Take-off and Vertical Landing) की क्षमता के लिए जाना जाता है। एक F-35B जेट की लागत लगभग 110 मिलियन डॉलर आती है, जो इसे दुनिया के सबसे महंगे लड़ाकू विमानों में से एक बनाती है।

विमान की यह जटिलता ही उसे वापस भेजने में देरी का एक मुख्य कारण है। इस अत्याधुनिक जेट की मरम्मत या उसे स्थानांतरित करने के लिए विशेष उपकरणों और अत्यधिक कुशल तकनीशियनों की आवश्यकता होती है, जो हर जगह उपलब्ध नहीं होते।

कूटनीतिक और लॉजिस्टिक चुनौतियां:
जेट को तिरुवनंतपुरम से वापस ब्रिटेन भेजने में कई तरह की कूटनीतिक और लॉजिस्टिक चुनौतियां सामने आ रही हैं:

  • मरम्मत या परिवहन: ब्रिटिश अधिकारियों को यह तय करना होगा कि क्या विमान की मरम्मत भारत में ही की जा सकती है, या उसे ब्रिटेन वापस ले जाने की आवश्यकता है। यदि मरम्मत यहीं करनी है, तो विशेषज्ञ टीमों और स्पेयर पार्ट्स को भारत लाना होगा। यदि परिवहन करना है, तो एक बड़े कार्गो विमान (जैसे C-17 ग्लोबमास्टर) की आवश्यकता होगी जो F-35 जैसे बड़े और संवेदनशील विमान को ले जा सके।
  • तकनीकी टीम की पहुंच: भारतीय हवाई अड्डे पर एक विदेशी सैन्य जेट की मौजूदगी संवेदनशील मामला है। ब्रिटिश तकनीशियनों और सुरक्षा कर्मियों को विमान तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों की सरकारों के बीच समन्वय आवश्यक है।
  • अनुमतियां और सुरक्षा: भारत के हवाई क्षेत्र में एक विदेशी सैन्य विमान को इतने लंबे समय तक रोकने और उसके संचालन के लिए आवश्यक अनुमतियां और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना महत्वपूर्ण है। भारतीय वायु सेना और नागरिक उड्डयन प्राधिकरण भी इसमें शामिल हैं।
  • गोपनीयता: F-35 जैसे स्टील्थ जेट में अत्यधिक गोपनीय तकनीक और संवेदनशील उपकरण होते हैं। ऐसे में, विमान की सुरक्षा और उसकी तकनीकी विशिष्टताओं को गोपनीय रखना एक बड़ी चुनौती है।

भारतीय अधिकारियों की भूमिका:
भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (AAI) और भारतीय वायु सेना (IAF) इस स्थिति से निपटने में ब्रिटिश अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहे हैं। उन्होंने विमान की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की और उसे हवाई अड्डे के एक सुरक्षित क्षेत्र में पार्क किया गया है। भारतीय अधिकारी ब्रिटिश टीम को आवश्यक सहायता प्रदान कर रहे हैं ताकि विमान को जल्द से जल्द हटाया जा सके।

यह घटना दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा संबंधों को भी दर्शाती है, जहां आपातकालीन स्थिति में एक-दूसरे के संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है।

आगे क्या?
अगले कुछ दिनों में ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स (RAF) या रॉयल नेवी की एक विशेष टीम के भारत पहुंचने की उम्मीद है। वे विमान का गहन मूल्यांकन करेंगे और यह तय करेंगे कि उसकी मरम्मत साइट पर की जा सकती है या उसे disassembled करके किसी अन्य विमान से ले जाना होगा। इस प्रक्रिया में अभी कुछ और दिन लग सकते हैं, और तब तक $110 मिलियन का यह अत्याधुनिक लड़ाकू जेट केरल के हवाई अड्डे पर ही खड़ा रहेगा।

यह घटना दुनिया भर के सैन्य और विमानन विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित कर रही है, क्योंकि एक F-35 जेट का इस तरह किसी विदेशी हवाई अड्डे पर इतने लंबे समय तक फंसा रहना एक असामान्य स्थिति है।

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