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नई दिल्ली: अमेरिका ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते का श्रेय लेने के साथ-साथ कश्मीर मुद्दे के “समाधान” के लिए मध्यस्थता करने की इच्छा जताई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोशल मीडिया के माध्यम से भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम की सराहना करते हुए कहा कि आक्रामकता से केवल लोगों की मौत और विनाश होता है।

ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और दृढ़ नेतृत्व पर बहुत गर्व है, क्योंकि उनके पास यह जानने और समझने की शक्ति, बुद्धि और धैर्य है कि वर्तमान आक्रामकता को रोकने का समय आ गया है, जो इतने सारे लोगों की मौत और विनाश का कारण बन सकता है। लाखों अच्छे और निर्दोष लोग मारे जा सकते थे! आपकी विरासत आपके साहसी कार्यों से बहुत बढ़ गई है।”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे गर्व है कि अमेरिका इस ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण निर्णय पर पहुंचने में आपकी मदद करने में सक्षम था। हालांकि, अभी चर्चा भी नहीं हुई है, मैं इन दोनों महान राष्ट्रों के साथ व्यापार को काफी हद तक बढ़ाने जा रहा हूं। इसके अतिरिक्त, मैं आप दोनों के साथ मिलकर यह देखने के लिए काम करूंगा कि क्या ‘हजार साल’ से चले आ रहे कश्मीर के संबंध में कोई समाधान निकाला जा सकता है। भगवान भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को उनके अच्छे काम के लिए आशीर्वाद दें।”

गौरतलब है कि शनिवार को भारत और पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम की घोषणा से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह जानकारी दे दी थी कि दोनों देश संघर्ष विराम के लिए सहमत हो गए हैं। इसके बाद, विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था कि शनिवार को दोपहर 3:35 बजे पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) ने भारतीय डीजीएमओ से फोन पर बात की। इस बातचीत में दोनों पक्षों ने सहमति जताई कि भारतीय समयानुसार शाम 5:00 बजे से जल, थल और वायु में हो रही गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद कर दी जाएगी। दोनों देशों को इस सहमति को लागू करने के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए जाएंगे, जिस पर डीजीएमओ 12 मई को दोपहर 12:00 बजे फिर से चर्चा करेंगे।

हालांकि, भारत ने तीसरे देश की मध्यस्थता के संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। भारत का हमेशा से यह रुख रहा है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसे भारत और पाकिस्तान के बीच ही सुलझाया जाना चाहिए। भारत किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का विरोध करता रहा है।

ट्रम्प का यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव कम होने के संकेत मिल रहे हैं। संघर्ष विराम समझौते के बाद, दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावनाएं बनी हैं। हालांकि, कश्मीर मुद्दे पर कोई भी समाधान निकालना एक जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसमें दोनों देशों की सहमति और विश्वास की आवश्यकता होगी।

ट्रम्प के प्रस्ताव पर भारत की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होगी। भारत का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है कि कश्मीर एक आंतरिक मामला है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है। हालांकि, अमेरिका की भूमिका को देखते हुए, भारत इस प्रस्ताव पर सावधानीपूर्वक विचार कर सकता है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रम्प के इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान की क्या प्रतिक्रिया होती है। पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग करता रहा है। ऐसे में, ट्रम्प का यह प्रस्ताव पाकिस्तान के लिए एक अवसर हो सकता है।

कुल मिलाकर, ट्रम्प का यह प्रस्ताव भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। हालांकि, इस पर दोनों देशों की प्रतिक्रिया और भविष्य में होने वाली बातचीत ही यह तय करेगी कि क्या कोई समाधान संभव है।

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