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by-Ravindra Sikarwar

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अमेरिका के साथ तभी व्यापार समझौते में प्रवेश करेगा जब उसके राष्ट्रीय हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी। उन्होंने विशेष रूप से कृषि और डेयरी क्षेत्रों को लेकर भारत की चिंताओं को उजागर किया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब डोनाल्ड ट्रम्प ने शुल्कों को लेकर 9 जुलाई की समय सीमा तय की है।

राष्ट्रीय हितों का संरक्षण सर्वोपरि:
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत सरकार किसी भी व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने से पहले देश के किसानों और दुग्ध उत्पादकों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। उनका यह रुख भारत की आत्मनिर्भरता और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति के अनुरूप है।

  • कृषि क्षेत्र की सुरक्षा: भारत का कृषि क्षेत्र लाखों लोगों की आजीविका का आधार है। अमेरिका के साथ किसी भी व्यापार समझौते में कृषि उत्पादों पर शुल्कों में कमी या आयात में वृद्धि भारतीय किसानों के लिए चुनौती बन सकती है। गोयल ने जोर दिया कि ऐसे किसी भी प्रावधान को स्वीकार नहीं किया जाएगा जिससे भारतीय किसानों को नुकसान हो। इसमें सस्ते अमेरिकी कृषि उत्पादों के आयात से घरेलू कीमतों पर पड़ने वाले संभावित नकारात्मक प्रभाव को रोकने की बात शामिल है।
  • डेयरी क्षेत्र की चिंताएं: भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और डेयरी क्षेत्र यहाँ के ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अमेरिकी डेयरी उत्पादों, खासकर जो हार्मोन-उपचारित गायों से प्राप्त होते हैं, को लेकर भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलताएँ हैं। गोयल ने यह सुनिश्चित करने की बात कही कि कोई भी समझौता भारतीय डेयरी किसानों और उपभोक्ताओं के हितों के साथ-साथ धार्मिक भावनाओं को भी ठेस न पहुँचाए।

ट्रम्प की 9 जुलाई की समय सीमा और भारत का रुख:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ भारतीय उत्पादों पर लगाए गए शुल्कों को लेकर 9 जुलाई की समय सीमा निर्धारित की है। यह समय सीमा दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता पर दबाव बढ़ा रही है। ट्रम्प प्रशासन ने अतीत में भारत पर “उच्च शुल्कों” का आरोप लगाते हुए कुछ व्यापार रियायतों को वापस ले लिया था।

भारत ने हमेशा बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने का समर्थन किया है, लेकिन राष्ट्रीय संप्रभुता और आर्थिक हितों से समझौता न करने पर दृढ़ रहा है। गोयल का बयान दर्शाता है कि भारत किसी भी दबाव में आकर ऐसा समझौता नहीं करेगा जो उसके घरेलू उद्योगों और आजीविका को खतरे में डाले।

  • व्यापार संतुलन और टैरिफ मुद्दे: दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन और कुछ उत्पादों पर लगाए गए टैल्िफ को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही है। भारत चाहता है कि अमेरिका भारतीय निर्यातकों के लिए बाजार पहुंच बढ़ाए, जबकि अमेरिका अपने उत्पादों के लिए भारत में बेहतर पहुंच चाहता है। पीयूष गोयल ने संकेत दिया कि भारत पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन एकतरफा शर्तों को स्वीकार नहीं करेगा।

कुल मिलाकर, पीयूष गोयल का बयान भारत की व्यापार नीति में दृढ़ता और सावधानी को दर्शाता है। यह स्पष्ट है कि भारत अपने घरेलू क्षेत्रों की सुरक्षा के बिना किसी भी व्यापार समझौते में जल्दबाजी नहीं करेगा, भले ही कोई भी समय सीमा क्यों न हो।

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