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by-Ravindra Sikarwar

ग्वालियर, मध्य प्रदेश: आज, 28 मई 2025 को, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माने जाने वाले ‘चंद्र दर्शन’ का पर्व मनाया जा रहा है। प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है, जिस दिन चंद्रमा बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता। अमावस्या के ठीक अगले दिन, यानी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को, जब सूर्यास्त के बाद चंद्रमा अपनी पतली कला के साथ आकाश में पहली बार दृष्टिगोचर होता है, तो उसी प्रथम दर्शन को ‘चंद्र दर्शन’ के रूप में जाना जाता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा-अर्चना करने और उनके दर्शन करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है, ऐसी गहन मान्यता है।

क्या है चंद्र दर्शन और इसका महत्व?
चंद्र दर्शन का शाब्दिक अर्थ है चंद्रमा का दर्शन। यह नवचंद्रमा का प्रतीक है और एक नए चंद्र माह की शुरुआत का भी संकेत देता है। हिंदू धर्म में चंद्रमा को एक महत्वपूर्ण देवता, चंद्र देव के रूप में पूजा जाता है, जिन्हें मन, भावनाओं, शीतलता और शांति का कारक माना जाता है।

धार्मिक और पौराणिक संदर्भ:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्र देव को नवग्रहों में भी प्रमुख स्थान प्राप्त है। भगवान शिव अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण करते हैं, जिससे चंद्र देव का महत्व और भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि चंद्र दर्शन के दिन भगवान शिव की पूजा भी विशेष फलदायी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें विशेष सकारात्मक ऊर्जा से भरी होती हैं, जो शरीर और मन को शुद्ध करती हैं तथा नकारात्मकता को दूर करती हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, चंद्रमा का संबंध धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी से भी जोड़ा जाता है, और चंद्र दर्शन पर पूजा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

पूजा विधि और अनुष्ठान: चंद्र दर्शन के शुभ अवसर पर श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं:

  1. व्रत और उपवास: कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं। कुछ लोग पूर्ण उपवास करते हैं, जबकि कुछ फलाहार या दूध का सेवन करते हैं।
  2. चंद्र देव को अर्घ्य: सूर्यास्त के बाद जब चंद्रमा दिखाई दे, तो भक्त उन्हें अर्घ्य देते हैं। एक पात्र में जल, दूध, चावल, अक्षत (बिना टूटे चावल), फूल और सफेद चंदन मिलाकर चंद्रमा को अर्पित किया जाता है।
  3. मंत्र जाप: चंद्र देव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ‘ॐ सों सोमाय नमः’, ‘ॐ चंद्राय नमः’ या ‘ॐ श्रीं श्रीं चंद्रमसे नमः’ जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है।
  4. दीपदान: कई लोग चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए दीपक जलाते हैं और उनकी स्तुति करते हैं।
  5. दान-पुण्य: इस दिन सफेद वस्तुओं, जैसे दूध, चावल, चीनी, या सफेद वस्त्रों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

ज्योतिषीय और आध्यात्मिक लाभ:
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति के मन, भावनाओं, मां के साथ संबंधों और समग्र व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मज़बूत होती है, जिससे मानसिक शांति, भावनात्मक स्थिरता और जीवन में सामंजस्य प्राप्त होता है। यह दिन जीवन में नई शुरुआत करने और शुभ कार्यों के लिए भी उत्तम माना जाता है।

आज देश भर के श्रद्धालु इस पवित्र अवसर पर चंद्र देव के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं, ऐसी मान्यता है कि यह दिन भक्तों के जीवन में खुशहाली, शांति और सकारात्मकता लेकर आता है।

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