Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

नई दिल्ली: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए शुरू की गई डिजिटल प्रणाली में हो रही कथित धांधली को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने अब एनालॉग (भौतिक) निगरानी के नए स्तरों को शामिल करने का निर्णय लिया है। यह कदम डिजिटल प्रणाली की खामियों को दूर करने और योजना में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है।

डिजिटल प्रणाली में धांधली के तरीके:
मनरेगा में डिजिटल उपस्थिति प्रणाली, जिसे पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार कम करने के उद्देश्य से लागू किया गया था, में कई तरह की हेराफेरी पाई गई है। इनमें से कुछ प्रमुख तरीके इस प्रकार हैं:

  • जियो-टैगिंग में हेरफेर: कुछ मामलों में, काम की जगह से दूर बैठे ही श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए जियो-टैगिंग डेटा में छेड़छाड़ की गई। इससे यह सुनिश्चित नहीं हो पा रहा था कि श्रमिक वास्तव में कार्यस्थल पर मौजूद हैं या नहीं।
  • इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या: दूरदराज के क्षेत्रों में खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी का लाभ उठाकर गलत उपस्थिति दर्ज की गई या फिर श्रमिकों की वास्तविक उपस्थिति होने पर भी उन्हें अनुपस्थित दिखा दिया गया।
  • फर्जी मस्टर रोल: डिजिटल प्रणाली के बावजूद, कुछ स्थानों पर फर्जी मस्टर रोल बनाए गए और उनमें ऐसे नामों को शामिल किया गया जो कभी काम पर आए ही नहीं।
  • तकनीकी खामियों का दुरुपयोग: ऐप-आधारित उपस्थिति प्रणाली में मौजूद छोटी-मोटी तकनीकी खामियों का फायदा उठाकर अनुपस्थित श्रमिकों के नाम पर भी भुगतान निकाला गया।
  • कार्यस्थल पर श्रमिकों की अनुपस्थिति: सबसे गंभीर बात यह पाई गई कि डिजिटल उपस्थिति दर्ज होने के बावजूद, कई कार्यस्थलों पर श्रमिकों की वास्तविक संख्या कम थी या वे बिल्कुल अनुपस्थित थे।

नए एनालॉग निगरानी स्तर:
इन धांधलियों पर अंकुश लगाने और योजना की प्रभावशीलता को बहाल करने के लिए, सरकार ने अब डिजिटल के साथ-साथ पारंपरिक, भौतिक सत्यापन विधियों को फिर से मजबूत करने का फैसला किया है। नए जोड़े गए एनालॉग निगरानी स्तरों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • ग्राम सभा की भूमिका मजबूत: अब ग्राम सभाओं को मनरेगा कार्यों के सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए सशक्त किया जाएगा। ग्राम सभाएं न केवल उपस्थिति की पुष्टि करेंगी बल्कि यह भी जांचेंगी कि कार्य वास्तव में हुआ है या नहीं और उसकी गुणवत्ता कैसी है।
  • निरीक्षण और औचक दौरे: केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा मनरेगा कार्यस्थलों पर नियमित और औचक निरीक्षण किए जाएंगे। इन दौरों के दौरान, अधिकारी श्रमिकों की भौतिक उपस्थिति, उनके द्वारा किए जा रहे कार्य और मस्टर रोल में दर्ज जानकारी का सीधा सत्यापन करेंगे।
  • शिकायत निवारण तंत्र का सुदृढ़ीकरण: श्रमिकों और स्थानीय नागरिकों के लिए एक मजबूत और सुलभ शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया जाएगा। इससे वे डिजिटल प्रणाली में पाई जाने वाली किसी भी विसंगति या धांधली की तुरंत शिकायत कर सकेंगे और उस पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
  • सामुदायिक भागीदारी बढ़ाना: स्थानीय समुदायों और स्वयं सहायता समूहों को मनरेगा कार्यों की निगरानी में शामिल किया जाएगा। उनकी भागीदारी से स्थानीय स्तर पर जवाबदेही बढ़ेगी और गलत तरीकों पर अंकुश लगेगा।
  • भौतिक मस्टर रोल का रखरखाव: डिजिटल रिकॉर्ड के साथ-साथ, कुछ मामलों में भौतिक मस्टर रोल का भी रखरखाव किया जाएगा ताकि क्रॉस-चेकिंग की जा सके और डिजिटल डेटा में किसी भी विसंगति को पकड़ा जा सके।

सरकार का मानना है कि इन नए एनालॉग निगरानी स्तरों को जोड़ने से मनरेगा योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि योजना का लाभ वास्तव में पात्र श्रमिकों तक पहुंचे और सार्वजनिक धन का सदुपयोग हो सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp