
केंद्र सरकार ने सरकारी स्कूलों में छात्रों के बढ़ते ड्रॉपआउट (स्कूल छोड़ने की दर) को रोकने के लिए एक नई पहल शुरू की है। इस पहल के तहत, सरकार देश भर के स्कूलों की निगरानी करेगी और जिन राज्यों या जिलों में छात्रों की उपस्थिति कम पाई जाएगी या मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता मानकों से नीचे होगी, उन्हें तुरंत सतर्क किया जाएगा। केंद्र सरकार विद्या समीक्षा केंद्र के माध्यम से पूरे देश के स्कूलों का डेटा एकत्र कर रही है।
मुख्य बातें:
- विद्या समीक्षा केंद्र से स्कूलों की निगरानी: देश भर के स्कूलों पर विद्या समीक्षा केंद्र के माध्यम से नजर रखी जाएगी और समय रहते चेतावनी जारी की जाएगी।
- अधिकांश राज्यों ने साझा किया डेटा: पश्चिम बंगाल, बिहार और केरल को छोड़कर, सभी राज्यों ने केंद्र सरकार के साथ अपने स्कूलों का विवरण साझा किया है।
- स्कूल छोड़ने की दर: बढ़ती कक्षाओं के साथ स्कूलों में बच्चों के बढ़ते ड्रॉपआउट को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ मिलकर एक नई रणनीति अपनाई है।
- उपस्थिति और भोजन की गुणवत्ता पर कड़ी नजर: इस पहल के तहत, देश भर के स्कूलों में छात्रों की दैनिक उपस्थिति और उन्हें दिए जाने वाले मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता पर बारीकी से निगरानी रखी जाएगी।
- कम उपस्थिति पर तत्काल अलर्ट: यदि किसी जिले के स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति लगातार कम होती है, तो केंद्र सरकार तुरंत उस राज्य और जिले को अलर्ट जारी करेगी।
- शैक्षणिक प्रदर्शन और स्वास्थ्य पर भी ध्यान: वर्तमान में छात्रों की उपस्थिति और मध्याह्न भोजन से संबंधित जानकारी एकत्र की जा रही है, लेकिन भविष्य में बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन और स्वास्थ्य की स्थिति पर भी नजर रखी जाएगी।
- देशव्यापी डेटा संग्रह: इस केंद्र के लिए पूरे देश के स्कूलों से आवश्यक डेटा जुटाया जा रहा है।
- 30 से अधिक राज्यों ने शुरू किया डेटा साझा करना: लगभग 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने उपस्थिति और मध्याह्न भोजन का डेटा देना भी शुरू कर दिया है।
- एक डैशबोर्ड पर सभी स्कूलों की जानकारी: शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस प्रणाली के माध्यम से देश भर के स्कूलों को एक डैशबोर्ड पर लाया गया है, जहाँ एक क्लिक पर किसी भी स्कूल की पूरी जानकारी उपलब्ध होगी।
अर्ली अलर्ट सिस्टम:
इस पहल के तहत, एक समय पूर्व चेतावनी (अर्ली अलर्ट) प्रणाली भी तैयार की गई है। इस प्रणाली के तहत, जैसे ही किसी भी राज्य या जिले में छात्रों की उपस्थिति में गिरावट दर्ज की जाएगी, यह सिस्टम तुरंत अलर्ट जारी करेगा। इस अलर्ट के आधार पर संबंधित राज्यों और जिलों को सूचित किया जाएगा। हालांकि, यह प्रणाली अभी शुरुआती चरण में है।
गौरतलब है कि भारत में प्राथमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर 1.9 प्रतिशत, उच्च प्राथमिक स्तर पर 5.2 प्रतिशत और माध्यमिक स्तर पर 14.1 प्रतिशत है। केंद्र सरकार का यह नया प्रयास इन आंकड़ों को कम करने और सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या को स्थिर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।