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नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्यप्रणाली पर कड़ी आपत्ति जताते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि “ED सारी सीमाएं लांघ रही है और नियमों के विरुद्ध नहीं जा सकती।” यह टिप्पणी तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) के विरुद्ध ED की जांच से जुड़े एक प्रकरण पर सुनवाई करते हुए की गई। सर्वोच्च न्यायालय ने ED की जांच पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए इस पर अस्थायी रोक भी लगा दी है।

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। यह याचिका मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले के विरुद्ध थी, जिसमें उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) में कथित 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में ED को पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की थी।

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को अवगत कराया कि राज्य ने 2017 से अब तक व्यक्तियों के खिलाफ 41 प्राथमिकियां (FIR) दर्ज की हैं। उन्होंने चौंकाने वाला तथ्य सामने रखा कि “व्यक्ति 2025 में सामने आते हैं और सीधे मुख्यालय पर छापा मारते हैं। फोन जब्त कर लिए गए… सब कुछ ले लिया गया… यह निजता का सीधा उल्लंघन है।” सिब्बल ने ED की कार्रवाई की समय-सीमा और उसकी व्यापकता पर सवाल उठाए।

मुख्य न्यायाधीश की तीखी टिप्पणियां
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सिब्बल की दलीलों पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए कहा, “यह अपराध किसी निगम के खिलाफ कैसे हो सकता है? निगम के खिलाफ आपराधिक मामला… प्रवर्तन निदेशालय सभी सीमाएं लांघ रहा है। कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाइए।” उन्होंने आगे सवाल उठाया, “जब अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकियां (FIR) पहले से ही दर्ज हैं, तो ED इसमें क्यों हस्तक्षेप कर रहा है? अपराध का मूल कारण क्या है?”

मुख्य न्यायाधीश गवई ने केंद्रीय एजेंसी के विरुद्ध कठोर टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि ED एक राज्य निगम को निशाना बनाकर “सभी सीमाएं पार कर रही है” और “संघीय ढांचे का उल्लंघन” कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, और ED की कार्रवाई असंगत और संभवतः असंवैधानिक प्रतीत होती है।

TASMAC जांच और छापेमारी पर अस्थायी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु की सरकारी शराब कंपनी TASMAC (तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की जांच और छापेमारी पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। यह निर्णय ED की कार्यशैली पर न्यायपालिका की बढ़ती चिंता को दर्शाता है, विशेषकर उन मामलों में जहां केंद्रीय एजेंसी राज्य के क्षेत्राधिकार वाले विषयों में हस्तक्षेप करती दिख रही है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियां यह संकेत देती हैं कि न्यायपालिका केंद्रीय एजेंसियों के अति-हस्तक्षेप और उनके द्वारा निर्धारित सीमाओं के उल्लंघन पर बारीकी से नजर रख रही है। यह निर्णय संघीय ढांचे के सम्मान और राज्य के अधिकारों की सुरक्षा के महत्व को भी रेखांकित करता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में आगे क्या कानूनी घटनाक्रम होते हैं और ED अपनी कार्यप्रणाली में क्या बदलाव लाती है।

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