by-Ravindra Sikarwar
आज, 19 जून, 2025 को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फिल्म “ठग लाइफ” के संबंध में कर्नाटक उच्च न्यायालय को कड़ी फटकार लगाई है। सर्वोच्च न्यायालय ने फिल्म की रिलीज का आदेश दिया है और इसके प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं। यह फैसला कलात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और न्यायिक सक्रियता के दायरे पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ता है।
मामला क्या था?
अभिनेता-निर्देशक कमल हासन की बहुप्रतीक्षित फिल्म “ठग लाइफ” को कर्नाटक में रिलीज होने से पहले कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी थी, जिसके पीछे कुछ धार्मिक या सामाजिक समूहों द्वारा जताई गई आपत्तियां मुख्य कारण थीं। इन समूहों का दावा था कि फिल्म में कुछ ऐसे दृश्य या संवाद हैं जो उनकी भावनाओं को आहत कर सकते हैं या समाज में अशांति फैला सकते हैं।
फिल्म निर्माताओं ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, यह तर्क देते हुए कि यह सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को पहले ही मंजूरी दिए जाने के बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
सर्वोच्च न्यायालय की कड़ी फटकार:
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की। न्यायाधीशों ने टिप्पणी की कि:
- अनावश्यक न्यायिक हस्तक्षेप: सर्वोच्च न्यायालय ने जोर दिया कि उच्च न्यायालय ने ऐसे मामलों में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप किया है जहां फिल्म को पहले ही केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) द्वारा मंजूरी मिल चुकी थी। CBFC एक वैधानिक निकाय है जिसे फिल्मों को प्रमाणित करने का अधिकार है।
- कलात्मक स्वतंत्रता का उल्लंघन: न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि फिल्मों को सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद उनकी रिलीज को रोकना कलात्मक अभिव्यक्ति और रचनात्मक स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार का सीधा उल्लंघन है।
- कानून-व्यवस्था का तर्क कमजोर: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने संभवतः कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के आधार पर रोक लगाई होगी। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कुछ समूह हिंसा की धमकी देते हैं, तो यह राज्य का कर्तव्य है कि वह कानून-व्यवस्था बनाए रखे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करे, न कि कलात्मक कार्य पर प्रतिबंध लगाकर हिंसा को बढ़ावा दे।
- अस्पष्ट आधार: सर्वोच्च न्यायालय ने पाया कि कर्नाटक उच्च न्यायालय का प्रतिबंध लगाने का आधार पर्याप्त रूप से ठोस या कानूनी रूप से मान्य नहीं था।
“ठग लाइफ” की रिलीज का आदेश और सुरक्षा के निर्देश:
सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया और फिल्म “ठग लाइफ” को कर्नाटक सहित पूरे देश में रिलीज करने की अनुमति दी।
इसके साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि फिल्म के प्रदर्शन के दौरान पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाए। इसका उद्देश्य किसी भी विरोध या संभावित हिंसा को रोकना है, ताकि दर्शक बिना किसी डर के फिल्म का आनंद ले सकें। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह की अशांति फैलाने की कोशिश करने वालों से कानून के अनुसार निपटा जाना चाहिए।
इस फैसले का महत्व:
सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पुष्टि: यह भारतीय संविधान के तहत निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की एक मजबूत पुष्टि है, विशेषकर कलात्मक कार्यों के संदर्भ में।
- न्यायिक सक्रियता पर अंकुश: यह निचली अदालतों को उन मामलों में अत्यधिक न्यायिक सक्रियता दिखाने से रोकता है जहां वैधानिक निकायों ने पहले ही निर्णय ले लिया है।
- सेंसर बोर्ड की भूमिका का सम्मान: यह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की स्वायत्तता और उसके द्वारा लिए गए निर्णयों के सम्मान को बनाए रखता है।
- राज्य की जिम्मेदारी: यह स्पष्ट करता है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य की है, न कि कलात्मक कार्यों को प्रतिबंधित करके संभावित अशांति से बचने की।
“ठग लाइफ” का यह मामला एक बार फिर से इस बात पर प्रकाश डालता है कि भारत में कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अक्सर कैसे चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर इन स्वतंत्रताओं की रक्षा के लिए अपनी भूमिका निभाई है। फिल्म अब बिना किसी बाधा के दर्शकों तक पहुंच सकेगी।