by-Ravindra Sikarwar
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री, स्वर्गीय अजीत जोगी की प्रतिमा को उसके अनावरण से ठीक कुछ दिन पहले रहस्यमय तरीके से हटा दिया गया, जिससे प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मच गया है। यह प्रतिमा गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के ज्योतिपुर चौक पर स्थापित की गई थी, जिसका अनावरण 29 मई को जोगी की पुण्यतिथि पर होना था। घटना के बाद, पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर ली है, और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
घटना का विस्तृत विवरण
जानकारी के अनुसार, गौरेला शहर के ज्योतिपुर तिराहे पर अजीत जोगी की एक आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई थी। इस प्रतिमा को 29 मई को, जो कि अजीत जोगी की पुण्यतिथि है, अनावरण के लिए तैयार किया गया था और इसके लिए बकायदा आमंत्रण पत्र भी बांटे जा चुके थे। रविवार-सोमवार की दरमियानी रात करीब 2:30 बजे कुछ अज्ञात लोगों ने एक अर्थमूवर (जेसीबी) की मदद से प्रतिमा को उसके स्थान से हटा दिया। सुबह जब यह बात सामने आई, तो जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के कार्यकर्ता और अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी मौके पर पहुंचे। उन्होंने प्रतिमा को हटाए जाने को ‘छत्तीसगढ़ के गौरव का अपमान’ बताते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बाद में यह प्रतिमा गौरेला नगर पालिका कार्यालय परिसर में क्षतिग्रस्त हालत में मिली। पुलिस ने तत्काल अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ चोरी और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
विवाद की जड़ और प्रशासनिक हस्तक्षेप
इस घटना के पीछे कई परतें हैं। बताया जा रहा है कि प्रतिमा को स्थापित करने से कुछ दिन पहले, 22 मई को गौरेला नगर पालिका परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) ने निर्माण कंपनी को एक नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में कहा गया था कि प्रतिमा को बिना अनुमति के स्थापित किया गया है, जो उनके कार्य आदेश के खिलाफ है। CMO ने कंपनी को 24 घंटे के भीतर प्रतिमा हटाने और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
हालांकि, जोगी कांग्रेस का दावा है कि जिस भूमि पर प्रतिमा स्थापित की गई थी, वह निजी स्वामित्व वाली है और उसके मालिक को प्रतिमा लगाने पर कोई आपत्ति नहीं थी। अमित जोगी ने प्रशासन की इस कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण और राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ प्रतिमा को हटाने का मामला नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के लोगों की भावनाओं पर सीधा हमला है।
सीसीटीवी फुटेज और जांच का दायरा
पुलिस ने घटनास्थल से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज खंगाले हैं, जिनमें एक क्रेन या अर्थमूवर का इस्तेमाल कर प्रतिमा को हटाया जाता हुआ स्पष्ट दिख रहा है। पुलिस ने उस मशीन की पहचान भी कर ली है और उसे जब्त करने के लिए एक टीम भेजी गई है। गौरेला पुलिस थाना प्रभारी नवीन बोरकर ने बताया कि मामले की जांच जारी है और दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा। इस मामले में कुछ स्थानीय भाजपा नेताओं को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है, क्योंकि सीसीटीवी फुटेज में उनकी कथित संलिप्तता दिख रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विरोध प्रदर्शन
इस घटना ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल ला दिया है। जोगी कांग्रेस ने इसे स्वर्गीय अजीत जोगी की विरासत को मिटाने की कोशिश बताते हुए तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अमित जोगी ने प्रतिमा को तत्काल उसी स्थान पर पुनर्स्थापित करने की मांग की है और चेतावनी दी है कि जब तक ऐसा नहीं होता, उनका विरोध जारी रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना ने सत्तारूढ़ दल की संकीर्ण मानसिकता को उजागर किया है।
स्थानीय निवासियों और जोगी समर्थकों में भी इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि अजीत जोगी सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की पहचान थे, और उनकी प्रतिमा का इस तरह हटाया जाना असहनीय है। क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है, और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
आगे क्या?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही प्रतिमा को हुए नुकसान और उसे हटाने के पीछे के वास्तविक इरादों पर अधिक स्पष्टता आ पाएगी। पुलिस और प्रशासन के लिए यह मामला एक बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि इसमें राजनीतिक संवेदनशीलता और जनभावनाएं गहरे रूप से जुड़ी हुई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन प्रतिमा को उसी स्थान पर पुनर्स्थापित करने की मांग पर सहमत होता है और इस घटना के पीछे के वास्तविक दोषियों को कब तक बेनकाब किया जाता है।