by-Ravindra Sikarwar
नई दिल्ली: भारत के उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों में इस समय भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कई शहर रिकॉर्ड तोड़ तापमान का सामना कर रहे हैं, और मौसम विज्ञानियों ने आने वाले समय में स्थिति के और बिगड़ने की आशंका जताई है। विशेष रूप से मुंबई, दिल्ली और चेन्नई जैसे महानगरों में 2030 तक लू (हीटवेव) वाले दिनों की संख्या में दो गुना वृद्धि होने का अनुमान है, जो चिंता का विषय है।
वर्तमान स्थिति:
पूरे उत्तर भारत में गर्मी का प्रचंड रूप देखने को मिल रहा है। दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बड़े हिस्से में अधिकतम तापमान सामान्य से काफी ऊपर बना हुआ है। कई स्थानों पर पारा 45 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है, और कुछ क्षेत्रों में यह 48 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुँच गया है।
राजस्थान में ‘रेड अलर्ट’:
राजस्थान, जो अपनी अत्यधिक गर्मी के लिए जाना जाता है, इस समय सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों में से एक है। राज्य के अधिकांश हिस्सों में भयंकर लू चल रही है, जिसके कारण भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है। रेड अलर्ट का मतलब है कि मौसम की स्थिति बेहद गंभीर है और लोगों को अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यहाँ दिन का तापमान 48-50 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच रहा है, जिससे दैनिक गतिविधियों में बाधा आ रही है।
पूर्वी भारत भी तप रहा:
उत्तर-पश्चिमी भारत के साथ-साथ पूर्वी भारत भी इस गर्मी की चपेट में है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में भी लगातार लू की स्थिति बनी हुई है। इन राज्यों में भी तापमान सामान्य से काफी ऊपर दर्ज किया जा रहा है, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
शहरों पर बढ़ता खतरा (2030 तक):
विशेषज्ञों और विभिन्न जलवायु मॉडलों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत के प्रमुख शहरों को भविष्य में और भी अधिक गर्मी का सामना करना पड़ेगा। एक अध्ययन के अनुसार:
- मुंबई, दिल्ली और चेन्नई: इन तीनों प्रमुख शहरों में 2030 तक लू वाले दिनों की संख्या दोगुनी होने की संभावना है। यह शहरीकरण, कंक्रीट के जंगलों और हरियाली की कमी के कारण ‘शहरी ताप द्वीप’ (Urban Heat Island) प्रभाव के बढ़ने का संकेत देता है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: बढ़ती गर्मी और लू का सीधा असर सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। हीटस्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और अन्य गर्मी संबंधी बीमारियों के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए यह स्थिति अधिक खतरनाक है।
- आर्थिक प्रभाव: अत्यधिक गर्मी कृषि, निर्माण और अन्य बाहरी उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों की उत्पादकता को भी प्रभावित करती है, जिससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कारण और बचाव के उपाय:
इस भीषण गर्मी के पीछे जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और बढ़ता प्रदूषण मुख्य कारण माने जा रहे हैं। विशेषज्ञ लोगों को गर्मी से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने की सलाह दे रहे हैं:
- धूप में निकलने से बचें, खासकर दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच।
- पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ जैसे नींबू पानी, छाछ, ORS का सेवन करें।
- हल्के, ढीले-ढाले और हल्के रंग के सूती कपड़े पहनें।
- सीधी धूप से बचने के लिए टोपी या छाते का प्रयोग करें।
- घर को ठंडा रखने के लिए खिड़कियों को बंद रखें और पर्दे लगाकर रखें।
- आवश्यक न होने पर बाहरी गतिविधियों से बचें।
भारत में बढ़ती गर्मी और लू की स्थिति एक गंभीर चुनौती बन रही है, जिसके लिए दीर्घकालिक समाधानों और प्रभावी अनुकूलन रणनीतियों की आवश्यकता है।