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थरिया, मुंगेली। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना, जिसका उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना है, कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा बदनाम की जा रही है। इसका एक ताजा और चौंकाने वाला उदाहरण मुंगेली जिले के पथरिया विकासखंड के कंचनपुर गांव से सामने आया है, जहां एक सरकारी शिक्षक पर मुफ्त आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए ग्रामीणों से 500 रुपये की रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें शिक्षक और एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के बीच तीखी बहस साफ देखी जा सकती है।

क्या है पूरा मामला?
पथरिया विकासखंड के कंचनपुर गांव में आयुष्मान कार्ड बनाने की जिम्मेदारी शिक्षक राम सिंह राजपूत को सौंपी गई थी। सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि ये कार्ड घर-घर जाकर पूरी तरह मुफ्त में बनाए जाएं, ताकि हर पात्र व्यक्ति को बिना किसी परेशानी के योजना का लाभ मिल सके। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि राम सिंह राजपूत प्रत्येक कार्ड के लिए 500 रुपये की अवैध वसूली कर रहे थे।

जब ग्रामीणों ने इस रिश्वतखोरी की शिकायत की, तो कंचनपुर की उप सरपंच वर्षा बाई मरकाम ने शिक्षक राम सिंह राजपूत से इस बारे में सवाल-जवाब किया। वायरल वीडियो में, शिक्षक यह स्वीकार करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि उन्होंने पैसे लिए थे, लेकिन उनका दावा है कि यह “जबरदस्ती” नहीं था। शिक्षक ने यह तर्क भी दिया कि उन्हें सरकार की ओर से आयुष्मान कार्ड मुफ्त बनाने के संबंध में कोई “स्पष्ट आदेश” नहीं मिला था, जो उनके इस कृत्य को न्यायसंगत ठहराने का एक कमजोर प्रयास प्रतीत होता है।

उप सरपंच ने की लिखित शिकायत, प्रशासन ने दिए जांच के आदेश
इस गंभीर मामले को लेकर उप सरपंच वर्षा बाई मरकाम ने मुंगेली के जिला शिक्षा अधिकारी को एक लिखित शिकायत सौंपी है। उन्होंने अपनी शिकायत में शिक्षक राम सिंह राजपूत के खिलाफ सख्त और त्वरित कार्रवाई की मांग की है।

आयुष्मान भारत योजना, जिसे केंद्र और राज्य सरकार मिलकर संचालित करती हैं, गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज प्रदान करती है। लेकिन इस तरह की घटनाएं न केवल योजना की पवित्र मंशा पर सवाल उठाती हैं, बल्कि सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को भी उजागर करती हैं।

स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में मांग की है कि दोषी शिक्षक के खिलाफ तत्काल और कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की भी मांग की गई है। जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। अब यह देखना बाकी है कि इस मामले में दोषी को उसके कृत्य की सजा मिलती है या नहीं और क्या ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कोई प्रभावी तंत्र स्थापित किया जाता है।

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