
भिंड: मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक सनसनीखेज घटना सामने आई है, जहां तीन डिजिटल पत्रकारों ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) डॉ. असित यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पत्रकारों का कहना है कि एसपी ने उन्हें 1 मई को अपने कार्यालय में बुलाकर न केवल अभद्र भाषा का प्रयोग किया, बल्कि चप्पलों से मारपीट भी की। इस घटना के बाद पत्रकारों ने जिलाधिकारी (कलेक्टर) को लिखित शिकायत सौंपी है, जिससे जिले के पत्रकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश है।
पीड़ित पत्रकारों ने सुनाई आपबीती:
पीड़ित पत्रकारों में प्रीतम सिंह राजावत, जो एक यूट्यूब चैनल चलाते हैं, शशिकांत गोयल, जो एक स्थानीय न्यूज़ पोर्टल का संचालन करते हैं, और अमरकांत चौहान, जो डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं, ने साझा बयान में बताया कि उन्होंने हाल ही में भिंड पुलिस प्रशासन से संबंधित कुछ खबरें प्रकाशित की थीं। पत्रकारों का आरोप है कि इन खबरों से एसपी डॉ. असित यादव कथित तौर पर नाराज हो गए थे।
उन्होंने बताया कि 1 मई को उन्हें एसपी कार्यालय से बुलावा आया। जब वे एसपी के चैंबर में पहुंचे, तो एसपी ने कथित तौर पर उनके साथ गाली-गलौज शुरू कर दी। पत्रकारों का आरोप है कि इसके बाद एसपी ने आपा खो दिया और उन्हें चप्पलों से पीटना शुरू कर दिया। इस अप्रत्याशित और अपमानजनक व्यवहार से तीनों पत्रकार स्तब्ध रह गए।
कलेक्टर से न्याय की गुहार:
इस घटना के तुरंत बाद, तीनों पीड़ित पत्रकारों ने भिंड के जिलाधिकारी (कलेक्टर) को एक विस्तृत लिखित शिकायत सौंपी है। शिकायत में उन्होंने पूरी घटना का विवरण दिया है और एसपी डॉ. असित यादव के खिलाफ निष्पक्ष जांच की मांग की है। पत्रकारों ने यह भी मांग की है कि जांच के बाद दोषी पाए जाने पर एसपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
पीड़ित पत्रकारों ने अपनी शिकायत में यह भी उल्लेख किया है कि वे इस मामले को लेकर मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और मुख्यमंत्री तक भी अपनी बात पहुंचाने की योजना बना रहे हैं, ताकि उन्हें न्याय मिल सके और मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
पत्रकार संगठनों में आक्रोश, समर्थन में उतरे सामाजिक संगठन:
इस घटना की खबर फैलते ही भिंड जिले के पत्रकार संगठनों में गहरा रोष व्याप्त हो गया है। विभिन्न पत्रकार संघों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और मांग की है कि मीडियाकर्मियों को डराने-धमकाने की ऐसी घटनाओं को तत्काल रोका जाए। उन्होंने पत्रकारों के साथ हुई इस बर्बरता को प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है।
पत्रकारों के समर्थन में कई सामाजिक संगठन और नागरिक भी खुलकर सामने आए हैं। उन्होंने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि लोकतंत्र में मीडिया की आवाज को दबाने का किसी को भी अधिकार नहीं है और इस मामले में इंसाफ होना चाहिए।
इस गंभीर आरोप के बाद भिंड जिले में हड़कंप मच गया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले पर क्या रुख अपनाता है और पीड़ित पत्रकारों को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाता है। इस घटना ने एक बार फिर मीडियाकर्मियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।