by-Ravindra Sikarwar
मुंबई: महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चन्द्रशेखर बावनकुले ने बुधवार को विधानसभा में एक संयुक्त प्रवर समिति की रिपोर्ट पेश की। यह रिपोर्ट एक विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक से संबंधित है, जिसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में बढ़ते नक्सलवाद पर अंकुश लगाना है।
समिति की बैठकें और सुझाव:
समिति के प्रमुख, बावनकुले ने बताया कि इस मुद्दे पर समिति ने कुल पाँच बैठकें कीं। इस दौरान उन्हें आम जनता से 12,500 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए, जिन पर विस्तार से विचार किया गया। मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह धारणा गलत है कि इस विधेयक के माध्यम से किसी भी राजनीतिक संगठन को निशाना बनाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया, “हमने इस विधेयक में और स्पष्टता लाई है, जिसका लक्ष्य वामपंथी विचारधारा से प्रभावित व्यक्तियों और संगठनों की अवैध गतिविधियों पर प्रभावी रोक लगाना है।”
विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
बावनकुले ने विधेयक के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों पर प्रकाश डाला:
- सलाहकार बोर्ड: विधेयक में एक ‘सलाहकार बोर्ड’ के गठन का प्रावधान है। इस बोर्ड की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाएगी।
- बोर्ड के सदस्य: इस बोर्ड के सदस्यों में जिला मजिस्ट्रेट या उच्च न्यायालय के सरकारी अभियोजक शामिल होंगे।
- जांच अधिकारी का पद: जांच अधिकारी का पद पुलिस उप-निरीक्षक के बजाय पुलिस अधीक्षक के स्तर का होगा, जिससे जांच प्रक्रिया में अधिक गंभीरता और विशेषज्ञता सुनिश्चित हो सके।
मंत्री ने यह भी बताया कि संयुक्त प्रवर समिति में विपक्षी सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों को भी विधेयक में शामिल किया गया है, जिससे यह अधिक व्यापक और स्वीकार्य बन सके।
विधेयक का उद्देश्य:
बावनकुले ने सरकार की मंशा स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार इस विधेयक को पारित कराना चाहती है क्योंकि इसका उद्देश्य युवाओं को नक्सलवादी आंदोलन से प्रभावित होने से रोकना है। उनका मानना है कि यह कानून शहरी क्षेत्रों में ऐसी गतिविधियों पर नकेल कसने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यह विधेयक पिछले शीतकालीन सत्र में फिर से पेश किया गया था और इसे संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा गया था। मुख्यमंत्री फडणवीस ने सोमवार को इस विधेयक के मसौदे की समीक्षा की थी, और जल्द ही इसे सदन में प्रस्तुत किया जाएगा।