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by-Ravindra Sikarwar

मुंबई: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए इंडसइंड बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुमंत कथपालिया और चार अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है। यह कार्रवाई कथित इनसाइडर ट्रेडिंग के एक मामले से संबंधित है, जिसमें इन अधिकारियों पर अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील जानकारी (यूपीएसआई) के आधार पर बैंक के शेयरों का कारोबार करने का आरोप है। सेबी ने इन सभी से लगभग ₹19.78 करोड़ की रकम भी जब्त की है, जो उन्हें कथित तौर पर इनसाइडर ट्रेडिंग से हुए लाभ या बचाए गए नुकसान के रूप में मिली थी।

मामले का विस्तृत विवरण:
सेबी द्वारा बुधवार (28 मई, 2025) को जारी अंतरिम आदेश के अनुसार, यह मामला इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में मिली विसंगतियों से जुड़ा है। ये विसंगतियां भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सितंबर 2023 में जारी ‘मास्टर डायरेक्शन’ के कार्यान्वयन के बाद सामने आईं थीं।

सेबी की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन को इन वित्तीय विसंगतियों और उनके संभावित बड़े प्रभाव के बारे में दिसंबर 2023 की शुरुआत से ही जानकारी थी। ईमेल और आंतरिक संचार से पता चला है कि कथपालिया और अन्य अधिकारियों को इन अनियमितताओं के बारे में पूरी जानकारी थी, लेकिन बैंक ने इस जानकारी को सार्वजनिक रूप से तब तक प्रकट नहीं किया जब तक कि 10 मार्च, 2025 को स्टॉक एक्सचेंजों को इसकी सूचना नहीं दी गई।

आरोपित अधिकारी और उनकी कथित भूमिका:
जिन पांच अधिकारियों को सेबी ने प्रतिबंधित किया है, उनमें सुमंत कथपालिया के अलावा ये भी शामिल हैं:

  1. अरुण खुराना: पूर्व कार्यकारी निदेशक और उप-सीईओ
  2. सुशांत सौरव: ट्रेजरी ऑपरेशंस के प्रमुख
  3. रोहन जथन्ना: ग्लोबल मार्केट्स ग्रुप (जीएमजी) ऑपरेशंस के प्रमुख
  4. अनिल मार्को राव: कंज्यूमर बैंकिंग ऑपरेशंस के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी

सेबी का आरोप है कि इन अधिकारियों ने 4 दिसंबर, 2023, से 10 मार्च, 2025, के बीच इंडसइंड बैंक के शेयरों की बिक्री की। यह वह अवधि थी जब वे बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में 1,529 करोड़ रुपये से अधिक की विसंगतियों से संबंधित अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील जानकारी के कब्जे में थे। सेबी ने पाया कि कथपालिया ने 1.25 लाख शेयर बेचे, जिससे उन्हें संभावित रूप से ₹5.2 करोड़ का नुकसान होने से बचा। वहीं, खुराना ने 3.4 लाख से अधिक शेयर बेचे, जिससे उन्हें ₹14.3 करोड़ का नुकसान होने से बचा। अन्य तीन अधिकारियों ने भी इसी अवधि में शेयरों की बिक्री की।

सेबी ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि “इनसाइडर के रूप में और यूपीएसआई के कब्जे में रहते हुए इनसाइडर ट्रेडिंग गतिविधियों में लिप्त होना, उन निर्दोष निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने जैसा है, जिन्हें महत्वपूर्ण/भौतिक जानकारी तक मुफ्त और समान पहुंच नहीं थी।”

सेबी द्वारा की गई कार्रवाई:
अपने अंतरिम आदेश में, सेबी ने इन पांचों अधिकारियों को “अगले आदेश तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, किसी भी तरीके से प्रतिभूतियों को खरीदने, बेचने या किसी भी तरह का व्यवहार करने” से रोक दिया है। इसके अलावा, सेबी ने इन व्यक्तियों के बैंक खातों और डीमैट खातों को भी उतनी राशि तक जब्त कर लिया है, जो उन्होंने कथित रूप से इनसाइडर ट्रेडिंग से बचाई थी। उन्हें यह भी निर्देश दिया गया है कि वे इस राशि को सेबी के पक्ष में लीन (Lien) चिह्नित करके सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) खातों में जमा करें। अधिकारियों को 15 दिनों के भीतर अपनी संपत्तियों और वित्तीय होल्डिंग्स का विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

बैंक और आगे की जांच:
इंडसइंड बैंक ने एक नियामक फाइलिंग में कहा है कि सेबी के अंतरिम आदेश का बैंक के वित्तीय, परिचालन या अन्य गतिविधियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सुमंत कथपालिया और अरुण खुराना ने अप्रैल 2025 में ही बैंक से इस्तीफा दे दिया था, जब बैंक ने अपनी डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में लेखांकन विसंगतियों का खुलासा किया था।

सेबी ने स्पष्ट किया है कि यह एक अंतरिम आदेश है और मामले में आगे की जांच जारी है। अंतिम निष्कर्षों के आधार पर अतिरिक्त कार्रवाई, जिसमें जुर्माना लगाना भी शामिल है, की जा सकती है। यह कार्रवाई कॉर्पोरेट गवर्नेंस में पारदर्शिता और वित्तीय बाजारों की अखंडता बनाए रखने के लिए सेबी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह उन अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश है जो अंदरूनी जानकारी का दुरुपयोग करके अवैध लाभ कमाने का प्रयास करते हैं।

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