Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

पूरे भारत में पड़ रही भीषण गर्मी और लू की लहर को देखते हुए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने देश के अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और विस्तृत एडवाइजरी जारी की है। इंदौर, मध्य प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में तापमान लगातार 45 डिग्री सेल्सियस के पार बना हुआ है, जिससे इन श्रमिकों के स्वास्थ्य और आजीविका पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। ये श्रमिक अक्सर खुले में, निर्माण स्थलों पर, खेतों में या अन्य ऐसे वातावरण में काम करते हैं जहाँ उन्हें सीधी धूप और अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ता है और उनके पास गर्मी से बचाव के सीमित साधन होते हैं।

NDMA की एडवाइजरी का मुख्य उद्देश्य इन संवेदनशील आबादी को लू और संबंधित बीमारियों से बचाना है। इसमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर जोर दिया गया है:

नियोक्ताओं के लिए दिशानिर्देश:

  • कार्य के घंटों में बदलाव: NDMA ने नियोक्ताओं को सलाह दी है कि वे दिन के सबसे गर्म घंटों, आमतौर पर दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच, बाहरी गतिविधियों और शारीरिक श्रम को कम करें या पूरी तरह से बंद कर दें। इसके बजाय, काम सुबह जल्दी या देर शाम में किया जा सकता है।
  • पर्याप्त पानी और छाया: कार्यस्थलों पर पीने के साफ पानी की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। साथ ही, श्रमिकों को धूप से बचने के लिए पर्याप्त छायादार स्थान उपलब्ध कराए जाएं जहाँ वे आराम कर सकें।
  • नियमित अंतराल पर ब्रेक: श्रमिकों को नियमित और बार-बार छोटे ब्रेक लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, खासकर जब वे अत्यधिक शारीरिक श्रम कर रहे हों। इन ब्रेकों के दौरान उन्हें ठंडी जगह पर आराम करने का मौका मिलना चाहिए।
  • सुरक्षात्मक उपकरण: नियोक्ताओं को श्रमिकों को हल्के रंग के, ढीले-ढाले कपड़े पहनने और सिर ढकने (टोपी या गमछा) के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यदि संभव हो, तो उन्हें धूप के चश्मे और सनस्क्रीन जैसी चीजें भी प्रदान की जा सकती हैं।
  • स्वास्थ्य निगरानी: श्रमिकों के स्वास्थ्य की निगरानी की जानी चाहिए और लू के लक्षणों (जैसे अत्यधिक पसीना आना, चक्कर आना, कमजोरी, मतली, सिरदर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, या बेहोशी) पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। किसी भी लक्षण के दिखने पर तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिए।

श्रमिकों के लिए आत्म-सुरक्षा उपाय:

  • पानी का सेवन: श्रमिकों को पर्याप्त मात्रा में पानी, लस्सी, नींबू पानी, छाछ या ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स) का सेवन करते रहना चाहिए, भले ही उन्हें प्यास न लगी हो। मीठे पेय, शराब और कैफीन के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि ये शरीर को निर्जलित कर सकते हैं।
  • सही कपड़े: हल्के रंग के, ढीले-ढाले सूती कपड़े पहनें जो पसीने को सोख सकें। सिर को टोपी, गमछे या छाते से ढकें।
  • शारीरिक गतिविधि: दिन के सबसे गर्म समय में कठोर शारीरिक गतिविधि से बचें। यदि संभव हो, तो काम के घंटों को समायोजित करें।
  • पहचानें लक्षण: लू या गर्मी से संबंधित बीमारियों के लक्षणों को पहचानना सीखें और यदि आपको या आपके किसी सहकर्मी को ये लक्षण महसूस हों तो तुरंत काम बंद कर दें और चिकित्सा सहायता लें।
  • नमक और चीनी का संतुलन: पसीने के माध्यम से खोए हुए नमक और खनिजों की भरपाई के लिए पर्याप्त नमक और चीनी युक्त तरल पदार्थ या खाद्य पदार्थ लें।

सामुदायिक और सरकारी भूमिका:

  • जन जागरूकता: स्थानीय प्रशासन और गैर-सरकारी संगठन (NGOs) गर्मी से बचाव के उपायों के बारे में जन जागरूकता अभियान चलाएं, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ अनौपचारिक श्रमिक रहते हैं या काम करते हैं।
  • आश्रय और सहायता केंद्र: शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पानी और छाया के साथ अस्थायी आश्रय केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।
  • स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी: अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को गर्मी से संबंधित बीमारियों के मामलों में वृद्धि के लिए तैयार रहना चाहिए, जिसमें पर्याप्त दवाएं, उपकरण और प्रशिक्षित कर्मचारी शामिल हों।
  • नीतिगत सुधार: सरकार को दीर्घकालिक नीतियों पर विचार करना चाहिए जो अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा जाल को मजबूत करें और भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करें।

NDMA ने सभी संबंधित विभागों, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों से इस एडवाइजरी का सख्ती से पालन करने और अनौपचारिक श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि भारत का यह महत्वपूर्ण कार्यबल, जो देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है, इस भीषण गर्मी के दौरान सुरक्षित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp