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रीवा: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में रविवार को उस समय सियासी पारा चढ़ गया, जब प्रभारी मंत्री प्रहलाद पटेल द्वारा आयोजित अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक में सेमरिया के कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा को आमंत्रित नहीं किया गया। इससे नाराज अभय मिश्रा अपने समर्थकों के साथ सर्किट हाउस पहुंचे और धरने पर बैठ गए। इस घटना ने राज्य सरकार की तबादला नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बैठक का बदला स्वरूप, लेकिन सवाल बरकरार:
दरअसल, रीवा के सर्किट हाउस में जिले के अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों को लेकर एक बैठक आयोजित की गई थी। लेकिन जब अभय मिश्रा को नहीं बुलाया गया, तो उन्होंने कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा और अन्य नेताओं के साथ सर्किट हाउस पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। बाद में, प्रभारी मंत्री प्रहलाद पटेल ने उन्हें अंदर बुलाया और एक अलग कमरे में उनसे बातचीत की। हालांकि, इस घटना ने तबादला नीति की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अभय मिश्रा के तीखे तेवर:
बैठक के बाद, अभय मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “हमने संविधान की रक्षा की शपथ ली है। हमें पता होना चाहिए कि संविधान क्या है? संविधान ने हमें क्या अधिकार दिए हैं? जरूरी नहीं कि हमारी बात मानो, लेकिन ‘ओपन फाउल’ नहीं चलेगा।” उन्होंने आगे कहा, “हमें स्थानांतरण नीति को लेकर होने वाली बैठक में नहीं बुलाया गया। मैंने कलेक्टर से पूछा तो उन्होंने कहा, इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। अगर स्थानांतरण में विपक्षी विधायकों की कोई भूमिका नहीं है तो, बताया जाए कि हमारा क्या रोल है?”

जीतू पटवारी ने भी साधा निशाना:
अभय मिश्रा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर मुख्यमंत्री मोहन यादव को चेतावनी दी। उन्होंने लिखा, “मुख्यमंत्री जी, मैं फिर दोहरा रहा हूं! चेतावनी भी दे रहा हूं! लोकतंत्र में तानाशाही का कोई स्थान/सम्मान नहीं है! याद रखें – विधायक किसी दल का नहीं, जनता का प्रतिनिधि होता है! कांग्रेस विधायकों की उपेक्षा कर आप जनता और जनमत का अपमान कर रहे हैं!”

“हिटलरशाही चल रही है”: अभय मिश्रा
अभय मिश्रा ने आरोप लगाया कि रीवा में “हिटलरशाही” चल रही है। उन्होंने कहा, “एसडीएम ने हमें साफ तौर पर कहा कि आपको नहीं बुलाना था, ऊपर से आदेश था।” उन्होंने आगे कहा, “हमारे क्षेत्र की जनता हमें ‘लालू’ न समझे, मैं घर में नहीं बैठा हूं। जनता ने हमें चुनकर भेजा है, मैं लगातार प्रयास करूंगा। कम से कम क्षेत्र की जनता यह तो नहीं कहेगी कि हमारा विधायक प्रयास नहीं कर रहा है।” उन्होंने सवाल उठाया, “जिस बैठक में सबको रहना है, उसमें नहीं बुलाएंगे तो फिर भारत, पाकिस्तान, चीन में क्या अंतर रह जाएगा?”

“15 दिन से वसूली अभियान”: गंभीर आरोप:
अभय मिश्रा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “हमारे इलाके में 15 दिन से वसूली अभियान चल रहा है। बदले की राजनीति के चलते, स्थानांतरण जाति के नाम पर, स्थानांतरण वोट के नाम पर, स्थानांतरण लेनदेन के नाम पर हो रहा है। अगर मैं बैठक में रहता तो प्रभारी मंत्री को बताता कि हमारे यहां क्या चल रहा है। कहते हैं कि लेटर पैड में आपसे कोई भी लिस्ट नहीं लेंगे, बैठक में नहीं बुला रहे, ऐसे में हमें कहां जाना चाहिए?”

इस घटना ने रीवा में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है और सरकार की तबादला नीति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अब देखना होगा कि इस मामले में सरकार क्या कार्रवाई करती है और क्या तबादला नीति में पारदर्शिता लाई जाती है।

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