by-Ravindra Sikarwar
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की महत्वपूर्ण बैठक 4 जून, बुधवार को शुरू हो चुकी है। यह तीन दिवसीय बैठक मुंबई में हो रही है, और इसके नतीजे शुक्रवार, 6 जून को सुबह 10 बजे रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा घोषित किए जाएंगे। बाजार विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों को व्यापक रूप से उम्मीद है कि इस बार भी केंद्रीय बैंक रेपो दर में 25 आधार अंक (0.25%) की कटौती का फैसला ले सकता है, जिससे आम आदमी को कर्ज सस्ता होने की उम्मीद है।
लगातार कटौती की उम्मीद और आर्थिक संकेत:
मौद्रिक नीति समिति की यह बैठक वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए दूसरी बैठक है। इससे पहले, फरवरी और अप्रैल की बैठकों में आरबीआई रेपो दर में क्रमशः 0.25% की कटौती कर चुका है, जिसके बाद आम आदमी को काफी राहत मिली थी क्योंकि इससे उनके लोन सस्ते हुए और EMI का बोझ कम हुआ। वर्तमान में रेपो दर 6% पर है। यदि यह कटौती होती है, तो रेपो दर घटकर 5.75% हो जाएगी।
रेटिंग एजेंसियों और ब्रोकरेज फर्मों ने भी दर में कटौती की संभावना जताई है। नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई से 2025 के अंत तक रेपो रेट में कुल 100 आधार अंकों (1%) तक की कटौती की उम्मीद है, जिससे यह 6% से घटकर 5% हो सकता है। यह कटौती जून, अगस्त, अक्टूबर और दिसंबर 2025 में 25-25 आधार अंकों के रूप में हो सकती है।
मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास पर नजर:
दर कटौती की उम्मीद के पीछे कई प्रमुख कारक हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में खुदरा मुद्रास्फीति (रिटेल इन्फ्लेशन) अप्रैल के महीने में घटकर 3.16% पर आ गई थी, जो मार्च में 3.34% थी। मुद्रास्फीति दर इस दौरान चार फीसदी से कम रही है, जो आरबीआई के 4% के मध्यम अवधि के लक्ष्य के भीतर है। मुद्रास्फीति पर नियंत्रण होने से केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों में कटौती करने की गुंजाइश मिलती है।
इसके साथ ही, वैश्विक आर्थिक स्थितियों में अस्थिरता और अमेरिका में टैरिफ बढ़ोतरी जैसे कारकों के बीच घरेलू विकास को बढ़ावा देने के लिए मौद्रिक सहायता की आवश्यकता महसूस की जा रही है। नुवामा जैसे वित्तीय संस्थानों का मानना है कि घरेलू अर्थव्यवस्था की गति हाल के महीनों में थोड़ी कमजोर हुई है, और इसे बढ़ावा देने के लिए नीतिगत समर्थन आवश्यक है। अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर का 3.2% दर्ज होना, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे कम है, भी दर कटौती के पक्ष में जाता है।
तकनीकी प्रक्रिया और पारदर्शिता:
एमपीसी में आरबीआई के तीन सदस्य और सरकार द्वारा नियुक्त तीन बाहरी सदस्य शामिल हैं। आरबीआई के सदस्यों में गवर्नर संजय मल्होत्रा, डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव और कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन हैं, जबकि बाहरी सदस्यों में नागेश कुमार, सौगत भट्टाचार्य और प्रोफेसर राम सिंह शामिल हैं। यह समिति बहुमत से निर्णय लेती है, जिसमें गवर्नर का वोट बराबर होता है।
हालांकि यह प्रक्रिया गोपनीयता बनाए रखती है, लेकिन बैठक के फैसले की घोषणा शुक्रवार, 6 जून को सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर द्वारा की जाएगी। इस घोषणा का सीधा प्रसारण आरबीआई के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी देखा जा सकता है। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति की दिशा तय करेगी।
क्या होंगे संभावित प्रभाव?
यदि रेपो दर में कटौती होती है, तो इसका सीधा लाभ कर्ज लेने वालों को मिलेगा, क्योंकि बैंक अपनी गृह ऋण, व्यक्तिगत ऋण और अन्य प्रकार के ऋणों पर ब्याज दरों को घटा सकते हैं। वहीं, जमाकर्ताओं को अपनी सावधि जमा (FD) पर कम ब्याज दरें मिलने की संभावना है, जैसा कि फरवरी 2025 से देखा गया है, जब FD दरों में 30-70 आधार अंकों तक की कमी की गई थी।
कुल मिलाकर, इस बैठक पर उद्योग जगत, निवेशक और आम उपभोक्ता सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि इसका फैसला देश की आर्थिक गतिविधियों और व्यक्तिगत वित्त पर सीधा प्रभाव डालेगा।