
ग्वालियर: ग्वालियर के रामकृष्ण मिशन आश्रम के संत सुप्रप्तिानंद से 2.5 करोड़ रुपये की ऑनलाइन ठगी के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए लखनऊ से दस आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जांच में यह भी पता चला है कि ठगी की गई रकम में से 30 लाख रुपये लखनऊ स्थित इंडसइंड बैंक के एक खाते में स्थानांतरित किए गए थे।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि संत सुप्रप्तिानंद को डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर साइबर ठगों ने 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की थी। पुलिस की गहन जांच के दौरान, टीम को पता चला कि ठगी की गई राशि का एक हिस्सा, लगभग 30 लाख रुपये, लखनऊ के इंडसइंड बैंक में “रुद्राक्ष इंटरप्राइजेज” नामक एक फर्म के खाते में जमा कराया गया था।
इस महत्वपूर्ण जानकारी के मिलते ही, एसआईटी की एक विशेष टीम ने लखनऊ में दबिश दी और वहां से दस संदिग्धों को हिरासत में लिया। पुलिस ने इन आरोपियों को लखनऊ के अलावा प्रतापगढ़, खीरी, लखीमपुर और गुजरात से गिरफ्तार किया है। पकड़े गए ठगों की पहचान सचिन गुप्ता, अर्सलान अली, सुल्तान मंसूरी, शिवांग सैनी, रवि आनंद, विनायक सिंह, हिरतेश कुमार, शौर्य शुक्ला (सभी निवासी लखनऊ), मोहम्मद अदनान खान (निवासी खीरी) और शिवम सिंह (निवासी गोरखपुर) के रूप में हुई है।
पुलिस अब इन सभी आरोपियों से गहन पूछताछ कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इनके तार उस बड़े गिरोह से जुड़े हैं जो डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से लोगों को ठगता है। इस मामले में पुलिस अब तक कुल 19 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
पूछताछ के दौरान, ठगों ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया कि वे बैंक में नए खाते खुलवाने वाले व्यक्तियों को बचत खाते पर 30 हजार रुपये और चालू खाते पर एक लाख रुपये तक कमीशन देते थे। ठगी की रकम को इन खातों में जमा करने के बाद, वे उसे निकालकर यूएसडीटी (Tether) में परिवर्तित करते थे और फिर क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से इस पैसे को देश से बाहर भेज देते थे।
पुलिस ने इन ठगों के कब्जे से कई आपत्तिजनक सामान बरामद किए हैं, जिनमें फर्जी बैंक खातों को संचालित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले 15 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, विभिन्न बैंकों की पासबुकें और चेक बुकें शामिल हैं। पुलिस इन सबूतों के आधार पर आगे की जांच कर रही है और इस गिरोह के अन्य सदस्यों और उनके नेटवर्क का पता लगाने का प्रयास कर रही है।
यह गिरफ्तारी रामकृष्ण मिशन आश्रम ठगी मामले में एक महत्वपूर्ण प्रगति है और उम्मीद है कि इससे इस साइबर अपराध के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकेगा। पुलिस का ध्यान अब इस बात पर केंद्रित है कि कैसे यह ठगी का पैसा देश से बाहर भेजा गया और इसमें कौन-कौन से लोग शामिल हैं।