by-Ravindra Sikarwar
बीजिंग: भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान चीन में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया। उन्होंने सीमा पार से होने वाले आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हुए सभी सदस्य देशों से ऐसे राष्ट्रों की पहचान करने का आह्वान किया जो आतंकवाद को समर्थन देते हैं।
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में आतंकवाद से निपटने में “दोहरे मापदंड” अपनाने की आलोचना की और कहा कि आतंकवाद को किसी भी आधार पर सही नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इससे मिलकर लड़ना होगा।
पाकिस्तान पर निशाना:
रक्षा मंत्री ने सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम लिए बिना, पड़ोसी देश द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद की घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कुछ देश आतंकवाद को अपनी विदेश नीति के एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कि बेहद चिंताजनक है।
संयुक्त दस्तावेज़ पर भारत का रुख:
खबरों के मुताबिक, भारत ने SCO के एक संयुक्त दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। यह दस्तावेज़ पाकिस्तान प्रायोजित पहलगाम आतंकवादी हमले का उल्लेख नहीं करता था। भारत का यह कदम आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ता और किसी भी तरह के समझौते को स्वीकार न करने की नीति को दर्शाता है। भारत का मानना था कि अगर कोई संयुक्त घोषणापत्र जारी किया जाता है, तो उसमें सभी तरह के आतंकवादी हमलों का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए, खासकर उन हमलों का जो एक सदस्य देश के खिलाफ किए गए हैं।
वैश्विक सहयोग का आह्वान:
अपने संबोधन में, राजनाथ सिंह ने सभी SCO सदस्यों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होने और खुफिया जानकारी साझा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म, जाति या राष्ट्रीयता नहीं होती और इसका मुकाबला वैश्विक सहयोग से ही किया जा सकता है।
यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है, और राजनाथ सिंह की आतंकवाद पर यह स्पष्ट और कड़ा टिप्पणी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। उन्होंने SCO मंच का उपयोग आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के रुख को स्पष्ट रूप से दुनिया के सामने रखने के लिए किया।