Spread the love

मुख्य न्यायाधीश की युगलपीठ ने 16 जून को अगली सुनवाई तय की, शासन के पुराने आदेश का हवाला

रायपुर/बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में त्यौहारी सीजन के दौरान सड़कों और उनके किनारों पर बिना अनुमति के सैकड़ों पंडाल और स्वागत द्वार लगाने से आम नागरिकों को हो रही परेशानियों को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की युगलपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव और रायपुर नगर निगम के आयुक्त से शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इस संबंध में सभी आवश्यक कार्रवाइयां नगर निगम द्वारा की जाती हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 जून को निर्धारित की गई है।

क्या कहता है छत्तीसगढ़ शासन का पुराना आदेश?
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन के गृह (पुलिस) विभाग मंत्रालय ने 22 अप्रैल 2022 को सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि पहले विभिन्न निजी, सार्वजनिक, धार्मिक, राजनीतिक और अन्य संगठनों द्वारा धरना, जुलूस, रैली, प्रदर्शन, भूख हड़ताल, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक आदि आयोजनों के लिए, जिनमें भीड़ जमा होती थी, जिला प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य था।

हालांकि, वर्तमान में यह देखा जा रहा है कि विभिन्न संस्थाएं और संगठन जिला प्रशासन से पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना ही ऐसे आयोजनों का आयोजन कर रहे हैं। इस स्थिति के कारण एक तरफ आम नागरिकों के दैनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है और व्यावसायिक गतिविधियां भी प्रभावित होती हैं। वहीं दूसरी ओर, कानून व्यवस्था बिगड़ने की भी प्रबल संभावना बनी रहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए शासन ने अनुमति लेने की अनिवार्यता को बरकरार रखा था और अनुमति की शर्तें भी निर्धारित की थीं।

दो वर्षों में अनुमति नहीं, फिर भी लगे सैकड़ों पंडाल
याचिकाकर्ता, रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2022 से लेकर 2024 तक गणेश और दुर्गा पूजा के त्योहारों के दौरान न तो जिला कलेक्टर और न ही नगर पालिक निगम के दसों जोनों ने सड़कों पर या सड़क के किनारे पंडाल लगाने के लिए कोई भी आधिकारिक अनुमति जारी की है। इसके बावजूद, विभिन्न आयोजनों के दौरान सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में पंडाल लगाए गए। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में 100 से अधिक तस्वीरें भी सबूत के तौर पर पेश की गईं, जो बिना अनुमति के लगे इन पंडालों की स्थिति को दर्शाती हैं।

सड़कें संकरी और वाहनों का बढ़ता दबाव
मीडिया से बातचीत में याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद राजधानी की कुछ ही सड़कों का चौड़ीकरण किया गया है। जो सड़कें चौड़ी की भी गई हैं, वे और अन्य सड़कें वाहनों की सड़कों के दोनों किनारों पर पार्किंग के कारण संकरी हो गई हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के निर्माण के समय प्रदेश में एक लाख से भी कम वाहन थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 80 लाख तक पहुंच गई है। लोगों के पास अपने घरों और दुकानों में वाहनों को पार्क करने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है।

ऐसी स्थिति में मुख्य सड़कों, कॉलोनियों और मोहल्लों में पंडाल और स्वागत द्वार लगाने से आम जनता को भारी असुविधा होती है। पूरे वर्ष विभिन्न आयोजनों के लिए सड़कों पर कहीं भी पंडाल और स्वागत द्वार लगाकर यातायात जाम किया जाता है। सिंघवी ने जोर देकर कहा कि रायपुर में यातायात का दबाव इतना बढ़ गया है कि सड़कें पंडालों का बोझ नहीं सह सकती हैं। इसलिए, उन्होंने मांग की कि पंडाल केवल खुले स्थानों या सार्वजनिक मैदानों पर ही लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि आम नागरिकों को आवागमन में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट का रुख और मुख्य सचिव व निगम आयुक्त द्वारा दाखिल किए जाने वाले शपथ पत्र महत्वपूर्ण होंगे, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि भविष्य में बिना अनुमति सड़कों पर पंडाल लगाने की समस्या से कैसे निपटा जाएगा। अगली सुनवाई 16 जून को इस मामले में महत्वपूर्ण मोड़ आ सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp