by-Ravindra Sikarwar
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा के दौरान एक भीषण और दुखद हादसा हुआ है। गुंडिचा मंदिर के पास हुई भगदड़ में कम से कम तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई है और 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं। चश्मदीदों ने इस घटना के लिए भीड़ नियंत्रण में कमी और सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को जिम्मेदार ठहराया है।
घटना का विवरण:
यह हादसा रविवार, 29 जून, 2025 की सुबह गुंडिचा मंदिर के पास हुआ। यह वही स्थान है जहां भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ शनिवार को यात्रा पूरी करने के बाद पहुंचे थे। रात के ‘पहुड़ा’ (रात के समय रथों को बंद करने की रस्म) के बाद सुबह तड़के जब ‘पहुड़ा’ खोला गया, तो हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए उमड़ पड़े।
जानकारी के अनुसार, सुबह लगभग 4 बजे जब श्रद्धालु रथों के दर्शन के लिए जमा थे, उसी दौरान भीड़ में अफरा-तफरी मच गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रथों के पास रखे ताड़ के लट्ठों को हटाने के लिए दो ट्रक अचानक उस भीड़ भरे इलाके में घुस गए, जिससे श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे, जिससे दम घुटने और कुचले जाने से यह दर्दनाक हादसा हुआ।
हताहतों की जानकारी:
हादसे में तीन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। मृतकों की पहचान खुर्दा जिले के रहने वाले प्रेमकांत मोहंती (78), प्रभाती दास (52) और बसंती साहू (42) के रूप में हुई है। घायलों को तुरंत स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। एक घायल को कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में रेफर किया गया है।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल:
चश्मदीदों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि:
- अपर्याप्त भीड़ नियंत्रण: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और प्रशासनिक कर्मियों की संख्या पर्याप्त नहीं थी।
- सुरक्षा में चूक: रथों के पास के क्षेत्र में वाहनों को प्रवेश की अनुमति देना एक बड़ी सुरक्षा चूक थी।
- अव्यवस्था: एक स्थानीय निवासी के अनुसार, “प्रबंधन अच्छा नहीं था। वीआईपी लोगों के लिए एक नया रास्ता बनाया गया था, जबकि आम लोगों को दूर से निकलने के लिए कहा जा रहा था, जिससे भीड़ बढ़ गई।”
- गैर-जिम्मेदाराना प्रतिक्रिया: एक मृतक के पति ने आरोप लगाया कि घटना के तुरंत बाद दमकल, बचाव दल या अस्पताल के अधिकारियों ने तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी।
जांच के आदेश:
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भी घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। उन्होंने जनता से माफी भी मांगी है।
उल्लेखनीय है कि रथ यात्रा शुरू होने के पहले दिन भी 600 से अधिक श्रद्धालु धक्का-मुक्की, गर्मी और उमस के कारण बीमार पड़ गए थे, जिनमें से कई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इस साल की रथ यात्रा के लिए 10,000 से अधिक पुलिसकर्मी, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के जवानों को तैनात किया गया था। भीड़ पर नजर रखने के लिए 275 से अधिक AI-सक्षम सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे। इसके बावजूद, यह हादसा प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।