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by-Ravindra Sikarwar

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में व्यस्त रहने वाले हैं, जिनमें एक प्रमुख वायु परिवहन शिखर सम्मेलन को संबोधित करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि वे मालदीव की अपनी पहली यात्रा कर सकते हैं, जो राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यकाल में भारत-मालदीव संबंधों में बढ़ती गर्माहट का संकेत देगी। ये दोनों घटनाएँ भारत की घरेलू नीतियों और विदेश संबंधों के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।

वायु परिवहन शिखर सम्मेलन को संबोधन:
आज प्रधानमंत्री मोदी के वायु परिवहन शिखर सम्मेलन को संबोधित करने की उम्मीद है। यह शिखर सम्मेलन भारत के बढ़ते विमानन क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। संबोधन के दौरान, प्रधानमंत्री द्वारा देश में हवाई कनेक्टिविटी को मजबूत करने, विमानन बुनियादी ढांचे के विस्तार और ‘उड़ान’ (UDAN – Ude Desh ka Aam Naagrik) जैसी क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजनाओं को बढ़ावा देने पर जोर दिए जाने की संभावना है।

यह संबोधन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक है। प्रधानमंत्री संभवतः इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने, मेक इन इंडिया पहल के तहत विमान निर्माण को बढ़ावा देने और हवाई यात्रा को आम नागरिक के लिए अधिक सुलभ बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराएंगे। विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञ और हितधारक इस संबोधन से भविष्य की नीतियों और दिशा-निर्देशों पर महत्वपूर्ण घोषणाओं की उम्मीद कर रहे हैं।

मालदीव यात्रा: संबंधों में सुधार का संकेत?
प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं। यदि यह यात्रा होती है, तो यह राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के पदभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव की पहली यात्रा होगी। यह संभावित दौरा भारत और मालदीव के बीच हाल के महीनों में तनावपूर्ण रहे संबंधों में सुधार का एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है।

पृष्ठभूमि:
राष्ट्रपति मुइज्जू ने अपने चुनाव अभियान और पदभार संभालने के बाद ‘इंडिया आउट’ अभियान को बढ़ावा दिया था, जिसके कारण दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई थी। मुइज्जू सरकार ने भारतीय सैन्य कर्मियों को मालदीव से हटाने की मांग की थी, जिसे भारत ने पूरा भी किया है। इस अवधि में, मालदीव चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत करता हुआ भी दिखा था।

संभावित यात्रा का महत्व: यदि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा होती है, तो यह कई कारणों से महत्वपूर्ण होगी:

  • संबंधों में गर्माहट: यह दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर से पटरी पर लाने और भरोसे को फिर से बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
  • रणनीतिक महत्व: मालदीव हिंद महासागर में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण, भारत के लिए मालदीव के साथ मजबूत संबंध बनाए रखना अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
  • विकास सहयोग: भारत मालदीव का एक प्रमुख विकास भागीदार रहा है, जिसने बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है। यह यात्रा भविष्य के सहयोग के लिए नए रास्ते खोल सकती है।
  • चीन के प्रभाव का मुकाबला: यह यात्रा मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने और इस द्वीप राष्ट्र में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।

निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी के आज के कार्यक्रम और संभावित मालदीव यात्रा दोनों ही भारत की घरेलू और विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखते हैं। वायु परिवहन शिखर सम्मेलन भारत की आर्थिक विकास की आकांक्षाओं को दर्शाता है, जबकि मालदीव की यात्रा इस बात का संकेत होगी कि भारत अपने सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसियों में से एक के साथ संबंधों को सुधारने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रहा है। इन दोनों घटनाओं पर राजनीतिक और आर्थिक विश्लेषकों की पैनी नजर रहेगी।

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