प्रयागराज महाकुंभ को लेकर राजनीतिक तनाव: अखिलेश यादव बनाम योगी आदित्यनाथ
जहां लाखों श्रद्धालु वर्तमान में प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेला में शामिल हो रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी (SP) प्रमुख अखिलेश यादव के बीच प्रशासनिक अक्षमताओं और खराब प्रबंधन को लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। इस आयोजन में अब तक 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति हो चुकी है, और अब यह शासन, बुनियादी ढांचे की चुनौतियों और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के केंद्र में है।
यातायात जाम को लेकर बढ़ती चिंताएँ
विरोधियों द्वारा उठाई गई प्रमुख समस्याओं में से एक है श्रद्धालुओं द्वारा प्रयागराज यात्रा के दौरान भयंकर यातायात जाम का सामना करना। रिपोर्ट्स के अनुसार, वाहन कई किलोमीटर लंबी जामों में फंसे हुए थे, और कुछ श्रद्धालु घंटों तक सड़कों पर फंसे रहे। इस लॉजिस्टिकल चुनौती को लेकर विपक्षी नेताओं, विशेष रूप से अखिलेश यादव ने संसद में सवाल उठाए।

लोकसभा में बजट चर्चा के दौरान यादव ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने लाखों लोगों के इस विशाल प्रवाह को संभालने के लिए पर्याप्त योजना नहीं बनाई। उन्होंने कहा, “हम चाँद तक पहुंचने की बात करते हैं, जबकि पृथ्वी पर ही यात्रा की सुविधा नहीं दे पा रहे हैं,” और सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए।
यादव ने भाजपा सरकार की “डबल इंजन” विफलता की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने आम नागरिकों के लिए अनावश्यक कठिनाइयां पैदा की हैं। उनके इस बयान के बाद भाजपा नेताओं, विशेष रूप से उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, ने इसे बेतुका और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया।
योगी आदित्यनाथ का जवाब
इन आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के प्रयासों का बचाव करते हुए कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव उपाय किए जा रहे हैं। एक समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि इस तरह के बड़े आयोजन को संभालना जटिल है, लेकिन प्रशासन किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध है।
योगी आदित्यनाथ ने प्रत्यक्ष रूप से अखिलेश यादव का नाम लिए बिना विपक्षी नेता पर तंज कसा और कहा, “जो लोग अपनी जिंदगी VIP ट्रीटमेंट का आनंद लेते रहे हैं, वही अब रुकावटें पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जनता की सेवा में पूरी तरह से समर्पित है और महाकुंभ मेला की पवित्रता बनाए रखने के लिए काम कर रही है।
विपक्षी नेताओं की टिप्पणी
इस विवाद को तब और हवा मिली जब समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता प्रदीप भाटी ने आयोजन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि ₹10,000 करोड़ का घोटाला हुआ है। हालांकि इन आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है, फिर भी ये आरोप राज्य सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ती अविश्वास को दर्शाते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विचारक संगीत रागी ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की और कहा कि इस साल के कुंभ मेले का आयोजन अभूतपूर्व था, लेकिन नागरिकों से प्रशासन के साथ सहयोग करने की अपील की। उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे एक ऐसे आयोजन की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करता है।
प्रशासन द्वारा किए गए सुधार
आलोचनाओं के बावजूद, यूपी पुलिस आयुक्त तरुण गाबा ने यातायात प्रबंधन प्रणालियों में महत्वपूर्ण सुधार का दावा किया। गाबा ने कहा कि महीनों पहले किए गए विस्तृत योजनाएं अब सकारात्मक परिणाम दे रही हैं, और वाहनों की आवाजाही को सुगम बना रही हैं। उन्होंने इस दिक्कत को आगंतुकों की भारी संख्या के कारण बताया, न कि किसी प्रणालीगत विफलता के रूप में।
वहीं, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने फिर से सरकार की प्रतिबद्धता का हवाला देते हुए कहा, “हमारी सरकार श्रद्धालुओं के लिए कुंभ के अनुभव को यादगार बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है,” और विपक्षी बयानबाजी को हिंदू परंपराओं को कमजोर करने की कोशिश बताया।
व्यापक राजनीतिक असर
यह विवाद भारतीय राजनीति में गहरे वैचारिक मतभेदों को उजागर करता है। भाजपा के लिए, महाकुंभ मेले का सफलतापूर्वक संचालन उसकी संगठनात्मक क्षमता और सनातन धर्म को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। वहीं, विपक्षी दल इसे सरकार की विफलताओं को उजागर करने का अवसर मानते हैं और असंतुष्ट मतदाताओं का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।
जैसे-जैसे मेला आगे बढ़ेगा और दो प्रमुख स्नान तिथियाँ बाकी हैं, प्रशासन की चुनौती बनी रहेगी कि वह मौजूदा समस्याओं को कैसे हल करता है, साथ ही राजनीतिक दबावों का भी सामना करता है। यह देखना बाकी है कि इस घटना से जनता का वर्तमान शासन पर विश्वास मजबूत होता है या कमजोर।