by-Ravindra Sikarwar
अयोध्या: प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में आज एक और ऐतिहासिक और आध्यात्मिक क्षण का साक्षी बनी, जब भव्य राम मंदिर के पहले तल पर स्थापित राम दरबार की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की गई। यह समारोह तीन दिवसीय अनुष्ठानों का अंतिम चरण था, जो 3 जून को शुरू हुआ था और आज, गंगा दशहरा के पावन अवसर पर संपन्न हुआ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पावन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। यह दिन उनके लिए और भी खास था, क्योंकि आज उनका 53वां जन्मदिन भी है। मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीराम और माता सीता की मूर्तियों का ‘नेत्रोन्मीलन’ (आँखों का अनावरण) कर प्राण प्रतिष्ठा प्रक्रिया को पूर्ण किया, जो प्रतीकात्मक रूप से देवताओं के ‘प्राकट्य’ और मंदिर में उनकी उपस्थिति का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर को “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” का प्रतीक बताया और X पर साझा किया कि वह इस कार्यक्रम का साक्षी बनकर खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं।
राम दरबार की विशिष्टता:
राम दरबार में भगवान राम के साथ माता सीता, लक्ष्मण और भगवान हनुमान की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। सभी मूर्तियाँ और सिंहासन जयपुर, राजस्थान में सफेद संगमरमर से तराशे गए हैं। भगवान राम की मूर्ति को विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए मुकुट, रत्नजड़ित कमरबंद, कशीदाकारी वस्त्र और जरी तथा कीमती पत्थरों से जड़े कपड़ों से सजाया गया है। प्रतिष्ठित पोशाक डिजाइनर मनीष तिवारी को देवताओं के वस्त्र डिजाइन करने का कार्य सौंपा गया था।
अनुष्ठान और तैयारियां:
तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान 3 जून को शुरू हुए थे, जिसमें अधिवास, उत्सव विग्रहों की परिक्रमा और कई औपचारिक हवन जैसे वैदिक अनुष्ठानों का एक सरणी शामिल थी। लगभग 101 वैदिक आचार्य अयोध्या और काशी से आए थे, जिन्होंने पूरे मंदिर परिसर को वैदिक मंत्रोच्चार से गुंजायमान कर दिया। आज, प्राण प्रतिष्ठा के लिए विशेष अभिजीत मुहूर्त को चुना गया था, जो सुबह 11:25 बजे से 11:40 बजे के बीच लगभग 15-17 मिनट का था। यह मान्यता है कि भगवान राम का जन्म द्वापर युग में अभिजीत मुहूर्त में ही हुआ था, इसलिए इस शुभ समय को विशेष रूप से चुना गया।
सुरक्षा और व्यवस्था:
आयोजन के लिए अयोध्या में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। सीआरपीएफ, एसएसएफ और पीएसी के कर्मियों को तैनात किया गया था। श्रद्धालुओं को रामलला के नियमित दर्शन की अनुमति थी, लेकिन मंदिर के पहले तल तक केवल सीमित संख्या में भक्तों को ही प्रवेश दिया गया, ताकि स्थल की पवित्रता बनी रहे। भीड़ प्रबंधन के लिए व्यापक इंतजाम किए गए, जिनमें छायादार विश्राम क्षेत्र, पीने के पानी के स्टेशन और मोबाइल शौचालय शामिल थे।
मंदिर परिसर में अन्य देवस्थल:
यह प्राण प्रतिष्ठा समारोह न केवल राम दरबार के लिए था, बल्कि राम मंदिर परिसर में नव-निर्मित आठ अन्य देवस्थलों में भी देवताओं के विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा आज ही संपन्न हुई। इनमें ईशान कोण में शिवलिंग, अग्नि कोण में श्री गणेश, दक्षिण भुजा में बलशाली हनुमान जी, नैऋत्य कोण में सूर्य देव और वायव्य कोण में देवी भगवती शामिल हैं।
एक नया अध्याय:
यह समारोह जनवरी 2024 में हुए रामलला के ‘बाल रूप’ की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दूसरा महत्वपूर्ण आयोजन है। यह अयोध्या और पूरे देश के लिए एक और गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ता है, जो भगवान राम के ‘राजा राम’ स्वरूप की पुनर्स्थापना का प्रतीक है। इस अवसर पर लखनऊ से 62,000 मिठाई के डिब्बे (प्रसाद) भी भेजे गए, जिसमें बेसन और मूंग दाल से बनी बर्फी शामिल थी। यह भव्य आयोजन अयोध्या के तेजी से हो रहे कायाकल्प का भी प्रतीक है, जहां पिछले आठ वर्षों में ₹32,000 करोड़ से अधिक की विकास परियोजनाएं निष्पादित की गई हैं।