by-Ravindra Sikarwar
ग्वालियर, मध्य प्रदेश: दिवंगत हास्य कवि प्रदीप चौबे के परिवार ने समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। उन्होंने अपनी विधवा बहू का दूसरा विवाह करवाकर सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ते हुए एक प्रगतिशील कदम उठाया है। यह कदम ऐसे समय में सामने आया है जब देश के कई हिस्सों में विधवा पुनर्विवाह को लेकर अभी भी संकोच और सामाजिक अवरोध देखने को मिलते हैं।
एक प्रेरणादायक पहल:
कवि प्रदीप चौबे, जो अपनी हास्य कविताओं और चुटकुलों के लिए जाने जाते थे, भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके परिवार ने उनके मूल्यों और विचारों को आगे बढ़ाया है। उनकी बहू के पति के असामयिक निधन के बाद परिवार ने यह सुनिश्चित किया कि उन्हें जीवन में फिर से खुशियां मिलें। यह निर्णय न केवल बहू के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा संदेश है कि जीवनसाथी खोने के बाद भी एक महिला को सम्मान और खुशियों भरा जीवन जीने का अधिकार है।
सामाजिक स्वीकार्यता और बदलाव:
भारत में विधवा पुनर्विवाह की परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन समाज के कई हिस्सों में इसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया है। ऐसे में, एक प्रतिष्ठित परिवार द्वारा इस तरह का कदम उठाना निश्चित रूप से अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगा। यह घटना दिखाती है कि कैसे परिवार की समझदारी और खुले विचारों से सामाजिक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है।
इस विवाह समारोह को सादगी और गरिमा के साथ संपन्न किया गया, जिसमें परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों ने भाग लिया। कवि प्रदीप चौबे के परिवार ने न केवल अपनी बहू को एक नई शुरुआत दी है, बल्कि पूरे समाज को यह संदेश भी दिया है कि मानवीय रिश्तों और खुशियों को सामाजिक बंदिशों से ऊपर रखना चाहिए।