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नई दिल्ली: पेगासस स्पाइवेयर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि देश अपनी सुरक्षा के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहा है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है और इससे किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि देश की सुरक्षा और नागरिकों की व्यक्तिगत निजता के बीच एक उचित संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। अदालत ने कहा कि इन दोनों महत्वपूर्ण पहलुओं को एक-दूसरे के विरोधी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि दोनों के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है।

न्यायालय ने इस मामले में आगे जांच की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्पाइवेयर का उपयोग केवल वैध उद्देश्यों के लिए और स्थापित कानूनी प्रक्रियाओं के तहत किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को नागरिकों की निजता के अधिकार की रक्षा के लिए पर्याप्त उपाय करने चाहिए।

पेगासस स्पाइवेयर मामला पिछले कुछ वर्षों से एक विवादास्पद मुद्दा रहा है, जिसमें सरकार पर पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और राजनेताओं सहित कई व्यक्तियों की निगरानी के लिए इस्राइली स्पाइवेयर का उपयोग करने का आरोप लगाया गया है। सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था।

सुप्रीम कोर्ट का यह बयान इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि देश की सुरक्षा के लिए स्पाइवेयर का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ ही नागरिकों की निजता के अधिकार की रक्षा करना भी आवश्यक है। अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या निष्कर्ष निकलता है और सरकार इस संबंध में क्या कदम उठाती है।

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