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बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई हुई है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने वाड्रफनगर जनपद पंचायत के परसडीहा क्षेत्र में एक पटवारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। यह पटवारी अपनी निजी भूमि के सीमांकन के लिए प्रार्थी से 10,000 रुपये की मांग कर रहा था। इस घटना ने एक बार फिर पटवारी और रिश्वतखोरी के बीच के रिश्ते को उजागर किया है, जो आम लोगों के लिए समस्या बन चुका है।

रिश्वत की मांग:
प्रार्थी राजेश पटेल, जो वाड्रफनगर के परसडीहा, बलरामपुर-रामानुजगंज का निवासी है, ने अपनी निजी भूमि का सीमांकन करवाने के लिए स्थानीय राजस्व हल्का पटवारी हेमंत कुजूर को आवेदन दिया था। इस दौरान पटवारी ने सीमांकन के काम के लिए 10,000 रुपये की रिश्वत की मांग की। राजेश पटेल ने पहले ही 2,000 रुपये बतौर एडवांस पटवारी को दे दिए थे, और शेष 8,000 रुपये देने के लिए उसे तहसील कार्यालय के सामने बुलाया था।

रंगे हाथ पकड़ा गया पटवारी:
4 अप्रैल 2025 को राजेश पटेल ने पटवारी हेमंत कुजूर से शेष 8,000 रुपये देने के लिए तहसील कार्यालय के पास मुलाकात की। उसी दौरान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की टीम ने पहले से ही जाल बिछाकर पटवारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। एसीबी ने हेमंत कुजूर को 8,000 रुपये की राशि के साथ गिरफ्तार कर लिया।

कार्रवाई और छापेमारी:
इस कार्रवाई से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। एसीबी ने हेमंत कुजूर को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत मामला दर्ज किया है। सूत्रों के अनुसार, पटवारी के घर और अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी की जा सकती है, ताकि उसकी संपत्ति और अन्य संदिग्ध गतिविधियों की जांच की जा सके।

भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें:
बलरामपुर जिले में यह पहला मामला नहीं है, जहां किसी पटवारी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया हो। इससे पहले नवंबर 2024 में सरगुजा एसीबी की टीम ने बलरामपुर जिले में एक पटवारी को 12,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। उस मामले में पटवारी ने फौती नामांतरण और रिकॉर्ड दुरुस्त करने के लिए रिश्वत की मांग की थी।

इन घटनाओं से साफ हो गया है कि राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो आम जनता के लिए लगातार परेशानी का कारण बन रहा है।

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