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नई दिल्ली: हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद सोशल मीडिया पर एक सवाल तेजी से उठा कि क्या भारत ने पाकिस्तान के किराना हिल्स पर हमला किया था, जहां कथित तौर पर उसके परमाणु हथियार छिपे हुए हैं। यह सवाल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के शुरुआती हमलों के बाद और दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बनने के बाद जोर पकड़ने लगा था। भारतीय वायुसेना द्वारा वॉरक्राफ्ट में दिखाई गई श्रेष्ठता और पाकिस्तान के अंदर तक मार करने की क्षमता को देखते हुए लोगों को लगा कि कहीं लाहौर की तरह किराना हिल्स भी भारतीय मिसाइलों का निशाना तो नहीं बन गया। हालांकि, अब इस सवाल की सच्चाई सामने आ गई है।

एयर ऑपरेशंस के डायरेक्टर जनरल एयर मार्शल एके भारती से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “हमें यह बताने के लिए धन्यवाद कि किराना हिल्स में कुछ परमाणु इंस्टॉलेशंस हैं। हमें इसके बारे में नहीं पता था।” इसके बाद उन्होंने गंभीरता से स्पष्ट किया, “हमने किराना हिल्स पर हमला नहीं किया है, जो कुछ भी वहां है। मैंने कल अपनी ब्रीफिंग में इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी।”

तो आखिर पाकिस्तान के किराना हिल्स में क्या है और यह सवाल सोशल मीडिया पर क्यों उठा?
इस सवाल की जड़ें 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में छिपी हैं, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इस घटना के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 6 और 7 मई की दरमियानी रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के अंदर नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके निशाने पर केवल आतंकवादी शिविर थे और उन्होंने पाकिस्तानी सेना या आम नागरिकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।

हालांकि, पाकिस्तान ने इसके बाद दुस्साहस दिखाते हुए मोर्टार, ड्रोन और मिसाइलों से भारतीय सैन्य और नागरिक क्षेत्रों पर हमला किया। इसके जवाब में, भारतीय वायुसेना (IAF) ने पाकिस्तान के अंदर 11 सैन्य स्थलों को निशाना बनाया। इनमें से एक रावलपिंडी के पास स्थित नूर खान मिलिट्री बेस भी था। गौरतलब है कि रावलपिंडी में ही पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय स्थित है।

नूर खान मिलिट्री बेस पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की देखरेख करने वाली महत्वपूर्ण संस्था, स्ट्रैटिजिक प्लान्स डिवीजन के मुख्यालय के काफी करीब है। इसी बीच, न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट ने इस मामले को और हवा दे दी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जानकार एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी के हवाले से लिखा कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा डर अपनी परमाणु कमान और नियंत्रण प्रणाली के खत्म होने का है। नूर खान पर मिसाइल हमले के बाद पाकिस्तान को यह डर फिर से सताने लगा, जिसे भारत की ओर से एक चेतावनी के रूप में देखा गया कि वह ऐसा करने में सक्षम है।

माना जा रहा है कि नूर खान और सरगोधा पर हमला करके भारत ने पाकिस्तान को यह संकेत देने की कोशिश की कि यदि बड़े पैमाने पर युद्ध होता है और हिंसा बढ़ती है, तो भारत के पास पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जखीरे को निष्क्रिय करने की क्षमता मौजूद है।

क्या सच में किराना हिल्स में छिपे हैं पाकिस्तान के परमाणु हथियार?
पाकिस्तान के लिए किराना हिल्स का भौगोलिक स्थान सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पहाड़ियां सरगोधा हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा केवल 20 किलोमीटर और खुशाब परमाणु संयंत्र से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन की एक रिपोर्ट (जिसे फरवरी 2025 में अपडेट किया गया था) के अनुसार, इस्लामाबाद से 200 किलोमीटर दक्षिण में खुशाब में हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम के उत्पादन के लिए समर्पित चार भारी जल रिएक्टर स्थापित हैं।

किराना हिल्स में पाकिस्तानी सेना द्वारा बनाई गई सुविधा को कई स्तरों वाली सुरक्षा प्रणाली के साथ डिज़ाइन किया गया है। ऐसी अटकलें हैं कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियार (न्यूक्लियर वॉरहेड) यहीं पर छिपा रखे हैं। चूंकि यह पाकिस्तान के लिए एक अत्यंत गोपनीय मामला है, इसलिए वह कभी भी सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार नहीं करेगा। यह भी संभावना है कि दुनिया को भ्रमित करने के लिए उसने खुद ही ऐसी अफवाहें फैलाई हों। भारतीय वायुसेना ने भी आधिकारिक तौर पर यही कहा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि किराना हिल्स में पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों का भंडारण बनाया हुआ है या नहीं।

इस प्रकार, किराना हिल्स में पाकिस्तानी परमाणु हथियारों की उपस्थिति का सवाल अभी भी अटकलों के घेरे में है, लेकिन हालिया तनाव और भारतीय सैन्य कार्रवाई के बाद यह मुद्दा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।

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