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रायपुर और इंदौर में शोक की लहर, आतंकी हमले में मारे गए दोनों कारोबारियों को नम आंखों से विदाई

रायपुर/इंदौर: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए बर्बर आतंकवादी हमले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। इस कायराना हमले में छत्तीसगढ़ के रायपुर के एक प्रतिष्ठित स्टील कारोबारी दिनेश मिरानिया और मध्य प्रदेश के इंदौर में कार्यरत एलआईसी अधिकारी सुशील नथानियल की दुखद मौत हो गई। गुरुवार को दोनों शहरों में उनके पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार अत्यंत गमगीन माहौल में किया गया, जहां शोक संतप्त परिजनों, मित्रों और गणमान्य नागरिकों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।

रायपुर में राजकीय सम्मान के साथ दिनेश मिरानिया को अंतिम विदाई, CM ने दिया कंधा
रायपुर के समता कॉलोनी निवासी दिनेश मिरानिया का पार्थिव शरीर बुधवार शाम को जब उनके निवास पर पहुंचा, तो पूरे क्षेत्र में शोक की गहरी छाया पसर गई। गुरुवार की सुबह उनकी अंतिम यात्रा में स्वयं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और कई अन्य वरिष्ठ राजनीतिक नेता शामिल हुए। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने दिवंगत दिनेश मिरानिया के पार्थिव शरीर को कंधा देकर उन्हें भावभीनी अंतिम विदाई दी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शोक संतप्त परिवार को ढांढस बंधाया और उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि दिनेश मिरानिया की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए शहर की किसी महत्वपूर्ण सड़क या चौक का नाम उनके नाम पर रखा जाएगा। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में स्थानीय व्यापारी और नागरिक भी शामिल हुए, जिन्होंने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

इंदौर में ईसाई रीति-रिवाज से सुशील नथानियल का अंतिम संस्कार, मंत्री और जनप्रतिनिधि हुए शामिल
उधर, इंदौर के बिना नगर के रहने वाले सुशील नथानियल की अंतिम यात्रा भी अत्यंत भावुक वातावरण में संपन्न हुई। उनके पार्थिव शरीर को एक विशेष वाहन में उनके घर से नंदा नगर स्थित चर्च ले जाया गया, जहां ईसाई धर्म की परंपराओं के अनुसार अंतिम प्रार्थना सभा आयोजित की गई। इसके पश्चात, उनके पार्थिव शरीर को जूनी इंदौर के कब्रिस्तान में ईसाई रीति-रिवाज से दफनाया गया।

इस दुखद अवसर पर मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री तुलसी सिलावट, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीतू पटवारी और अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में शोकग्रस्त लोग शामिल हुए। सभी ने दिवंगत सुशील नथानियल को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की।

पत्नी का करुण विलाप, पूरे मोहल्ले में मातम
सबसे हृदयविदारक दृश्य तब देखने को मिला जब सुशील नथानियल की पत्नी जेनिफर ताबूत से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगीं। उनके पिता गहरे सदमे में थे और उनकी छोटी बुआ इंदु डावर के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पूरे मोहल्ले में मातम का माहौल था। सुशील नथानियल अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए कश्मीर गए थे, लेकिन यह यात्रा उनके जीवन की अंतिम यात्रा साबित हुई।

कई परिवारों की खुशियां छीनी, देश को सोचने पर मजबूर किया
सुशील नथानियल आलीराजपुर स्थित एलआईसी शाखा में कार्यरत थे। वह अपनी 21 वर्षीय बेटे, 30 वर्षीय बेटी और पत्नी के साथ 18 अप्रैल को कश्मीर पहुंचे थे। 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसारन घाटी में हुए आतंकवादी हमले में उनकी जान चली गई, जबकि उनकी बेटी आकांक्षा के पैर में गोली लगी। यह बर्बर हमला सिर्फ कुछ लोगों की जान लेने वाला नहीं था, बल्कि इसने कई परिवारों की खुशियों को छीन लिया और एक बार फिर देश को आतंकवाद की समस्या पर गहराई से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।

पहलगाम में हुए इस कायराना हमले ने न केवल दो परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है, बल्कि इसने पूरे देश को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का संदेश भी दिया है। दिनेश मिरानिया और सुशील नथानियल की शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा।

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