
नई दिल्ली: जाने-माने शिक्षाविद् और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के प्रमुख वास्तुकार पद्म विभूषण डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने बेंगलुरु में अंतिम सांस ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष रहे डॉ. कस्तूरीरंगन को देश की शिक्षा प्रणाली में दूरगामी सुधार लाने के लिए जाना जाता है।
डॉ. कस्तूरीरंगन का जन्म 1940 में हुआ था और उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित करियर बनाया। उन्होंने भौतिकी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी और अंतरिक्ष विज्ञान में उनका योगदान अविस्मरणीय है। नौ वर्षों तक इसरो का नेतृत्व करते हुए, उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण उपग्रह प्रक्षेपित किए गए और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की।
अंतरिक्ष विज्ञान के अलावा, डॉ. कस्तूरीरंगन शिक्षा के क्षेत्र में भी गहराई से जुड़े रहे। उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए व्यापक रूप से सराहा जाता है। इस नीति का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुसार बदलना है, जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। शिक्षा में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा देना, व्यावसायिक शिक्षा पर जोर देना, और छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करना इस नीति की प्रमुख विशेषताएं हैं।
डॉ. कस्तूरीरंगन ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलाधिपति के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और प्रशासनिक मामलों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कर्नाटक ज्ञान आयोग के अध्यक्ष के रूप में राज्य में शिक्षा और ज्ञान के प्रसार के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया।
उनके निधन पर शिक्षा जगत और वैज्ञानिक समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है और शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान को याद किया है। डॉ. कस्तूरीरंगन अपने दूरदर्शी नेतृत्व और शिक्षा के प्रति अटूट समर्पण के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनका निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।