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नई दिल्ली: पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ हाल ही में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के महत्व और इसके प्रभावों से दुनिया के प्रमुख देशों को अवगत कराने के लिए भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल की है। इसके तहत, विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश दौरे पर जाएगा। सरकार विदेश में भारत का पक्ष मजबूती से रखने के लिए सांसदों की आठ टीमें भेजने की तैयारी कर रही है, जिनमें से प्रत्येक टीम में छह से सात सांसद शामिल हो सकते हैं।

जानकारों के अनुसार, इस कूटनीतिक प्रयास का पहला चरण 22 मई से शुरू होकर 3 जून तक चलने की संभावना है। इस दौरान, सांसदों की टीमें पांच प्रमुख देशों का दौरा करेंगी। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद से भारत पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की आवश्यकता और महत्व के बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को विस्तार से बताना है। इसके अतिरिक्त, भारतीय सांसद आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के झूठे दावों और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर इस्लामाबाद द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम को भी उजागर करेंगे।

भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अब किसी भी आतंकवादी हमले को देश के खिलाफ युद्ध के कृत्य के रूप में माना जाएगा। इसी परिप्रेक्ष्य में, सांसदों का यह प्रतिनिधिमंडल प्रमुख देशों को भारत के इस दृढ़ संकल्प से अवगत कराएगा और पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के खिलाफ की जा रही दिखावटी कार्रवाइयों की वास्तविकता भी बताएगा। सूत्रों के अनुसार, सरकार विभिन्न देशों की सरकारों और मीडिया के माध्यम से आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी स्थिति को मजबूती से स्थापित करने की रणनीति पर काम कर रही है। इस संबंध में, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सभी राजनीतिक दलों के संसदीय दल के नेताओं के साथ समन्वय स्थापित कर रहे हैं। संसदीय कार्य मंत्रालय विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर इन सांसद दलों के गठन की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से जुटा हुआ है।

कांग्रेस भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल:
कांग्रेस पार्टी ने भी इस सर्वदलीय सांसद प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने की सहमति व्यक्त की है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम हमले के बाद हुई दो सर्वदलीय बैठकों की अध्यक्षता नहीं की थी। उन्होंने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उत्पन्न स्थिति पर चर्चा के लिए विपक्षी दलों द्वारा संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग को भी सरकार ने स्वीकार नहीं किया था। रमेश ने कहा कि सरकार एकता की बात तो करती है, लेकिन भाजपा की ओर से लगातार कांग्रेस को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि, अब सरकार ने अचानक आतंकवाद और पाकिस्तान के मुद्दे पर विदेश में भारत का पक्ष रखने के लिए सभी दलों के सांसदों का प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है, जिसका कांग्रेस स्वागत करती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस हमेशा से राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में देश के साथ खड़ी रही है और कभी भी इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की है। रमेश ने यह भी कहा कि भाजपा राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करती है। कांग्रेस का मानना है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने के लिए उनकी पार्टी हर स्तर पर और हर मुद्दे पर सरकार का समर्थन जारी रखेगी, लेकिन जहां आवश्यक होगा, वहां सवाल पूछने से भी पीछे नहीं हटेगी।

पहले भी भेजे गए हैं भारतीय प्रतिनिधिमंडल:
ऐसी संभावना है कि इस महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि, शशि थरूर के हालिया बयानों को लेकर कांग्रेस में कुछ नाराजगी की खबरें हैं, लेकिन सरकार उनके व्यापक कूटनीतिक अनुभव का लाभ उठाने के लिए उन्हें सांसद टीम में शामिल करने पर विचार कर सकती है। सांसदों का यह दल संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, रूस सहित विभिन्न महत्वपूर्ण देशों का दौरा कर सकता है।

यह उल्लेखनीय है कि अतीत में भी भारत सरकार ने विभिन्न अवसरों पर भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों को विदेश भेजकर पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों और गतिविधियों से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अवगत कराया है। उदाहरण के लिए, अतीत में विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का पक्ष रखा था। उस प्रतिनिधिमंडल में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी शामिल थे। उस समय पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयोग में जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन भारतीय सांसदों के प्रभावी हस्तक्षेप ने उसके प्रयासों को विफल कर दिया था। इसी तरह, 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद भी भारतीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने विदेश का दौरा कर भारत का पक्ष मजबूती से रखा था।

यह नई पहल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करने और पाकिस्तान पर आतंकवाद के मुद्दे पर और अधिक दबाव बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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