नई दिल्ली: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने नई दिल्ली स्थित आवास पर एक विशेष सिंदूर का पौधा रोपा। यह प्रतीकात्मक कार्य पर्यावरण संरक्षण पर जोर देने के साथ-साथ कच्छ की बहादुर महिलाओं के असाधारण साहस को श्रद्धांजलि भी है।
कच्छ की वीरांगनाओं का अनोखा उपहार:
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा की गई अपनी पोस्ट में बताया कि यह सिंदूर का पौधा उन्हें हाल ही में गुजरात के कच्छ दौरे के दौरान 1971 के युद्ध में साहस और पराक्रम की अद्भुत मिसाल पेश करने वाली कच्छ की वीरांगना माताओं-बहनों ने भेंट किया था। उन्होंने कहा, “विश्व पर्यावरण दिवस पर आज मुझे उस पौधे को नई दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास में लगाने का सौभाग्य मिला है। यह पौधा हमारे देश की नारी शक्ति के शौर्य और प्रेरणा का सशक्त प्रतीक बना रहेगा।”
इन महिलाओं ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भुज हवाई पट्टी के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब पाकिस्तानी बमबारी से हवाई पट्टी क्षतिग्रस्त हो गई थी। 300 से अधिक महिलाओं ने 72 घंटों के भीतर हवाई पट्टी को फिर से बनाने में भारतीय सेना की मदद की थी, जिससे भारतीय वायु सेना के संचालन जारी रह सके। प्रधानमंत्री ने 26 मई को भुज में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में इन 13 जीवित ‘वीरांगनाओं’ से मुलाकात की थी और उनका आशीर्वाद लिया था।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सिंदूर का नया प्रतीकवाद:
यह प्रतीकात्मक कार्य हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के हफ्तों बाद आया है। पहलगाम में हुए हमले में हिंदू पुरुषों को उनकी पत्नियों के सामने निशाना बनाया गया था। इस घटना के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा था कि ‘सिंदूर’ अब राष्ट्र की ताकत का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया है। उन्होंने बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, “मेरी नसों में खून नहीं, सिंदूर बहता है,” यह चेतावनी देते हुए कि भारत के दुश्मन अब जानते हैं कि “जब सिंदूर बारूद में बदल जाता है” तो क्या होता है। यह बयान भारत की दृढ़ता और आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के संकल्प को दर्शाता है।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता:
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने #EkPedMaaKeNaam पहल को मजबूत करने पर जोर दिया और कहा कि यह अभियान हर माँ के सम्मान में एक पेड़ लगाने के महत्व को रेखांकित करता है।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने दिल्ली के भगवान महावीर वनस्थली पार्क में एक और पौधा लगाया, जो अरावली पर्वतमाला के वनीकरण के प्रयासों का हिस्सा है। उन्होंने ‘अरावली ग्रीन वॉल’ परियोजना का भी उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य इस प्राचीन पर्वत श्रृंखला को पुनर्जीवित करना है जो गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली हुई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार अरावली से संबंधित पर्यावरणीय चुनौतियों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें जल प्रणालियों में सुधार, धूल भरी आंधी को रोकना और थार रेगिस्तान के पूर्व की ओर विस्तार को रोकना शामिल है।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के युवाओं से इस आंदोलन में भाग लेने और पृथ्वी के हरित आवरण को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी बताया कि वृक्षारोपण गतिविधियों को जियो-टैग किया जाएगा और ‘मेरी LiFE’ पोर्टल पर निगरानी की जाएगी।
इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2025 का विषय “प्लास्टिक प्रदूषण को हराना” (#BeatPlasticPollution) है, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक कचरे के हानिकारक प्रभावों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना और स्थायी विकल्पों को बढ़ावा देना है। भारत पिछले चार-पांच वर्षों से इस पर लगातार काम कर रहा है। ‘मिशन LiFE’ (लाइफस्टाइल फॉर एन्वायरनमेंट), जो संसाधनों के सचेत उपयोग और स्थायी जीवन शैली को अपनाने की वकालत करता है, वैश्विक स्तर पर एक जन आंदोलन बन रहा है। लाखों लोगों ने अपने दैनिक जीवन में ‘कम करें, पुन: उपयोग करें और रीसायकल करें’ के मंत्र को अपनाया है।
प्रधानमंत्री के सिंदूर के पौधे को लगाने का यह कार्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ देश की नारी शक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सम्मान का एक सशक्त संदेश भी देता है।