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by-Ravindra Sikarwar

नई दिल्ली, भारत: लोकपाल ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों के संबंध में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की वर्तमान अध्यक्ष माधबी पुरी बुच को क्लीन चिट दे दी है। यह निर्णय उन सभी आरोपों को खारिज करता है जिनमें सेबी द्वारा अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद कथित रूप से अपर्याप्त या अनुचित कार्रवाई का आरोप लगाया गया था।

पूरा मामला और आरोप:
यह मामला तब शुरू हुआ जब अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी, 2023 को अडानी समूह के खिलाफ एक विस्फोटक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर, धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद, अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ।

इस घटनाक्रम के बाद, सेबी पर आरोप लगे कि उसने अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से पहले और बाद में उचित निगरानी और नियामक कार्रवाई नहीं की। कुछ व्यक्तियों और संगठनों ने लोकपाल में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने अपने पद का दुरुपयोग किया और अडानी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहीं, जिससे निवेशकों के हितों को नुकसान पहुंचा।

लोकपाल का फैसला और तर्क:
लोकपाल ने इन सभी शिकायतों पर गहन जांच की। जांच के दौरान, लोकपाल ने सेबी द्वारा हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले और बाद में की गई सभी नियामक कार्रवाइयों, आंतरिक प्रक्रियाओं और उपलब्ध डेटा का विश्लेषण किया। लोकपाल ने यह भी विचार किया कि क्या सेबी के पास हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, पहले से कोई जानकारी थी और क्या नियामक ने उचित समय-सीमा में कार्रवाई की।

अपनी जांच के बाद, लोकपाल ने पाया कि माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई दम नहीं है। लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि सेबी अध्यक्ष ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी और निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार किया है। लोकपाल ने निष्कर्ष निकाला कि सेबी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद मामले को गंभीरता से लिया और आवश्यक नियामक जांच और निगरानी प्रक्रियाओं को सक्रिय किया। लोकपाल ने यह भी उल्लेख किया कि सेबी ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार भी कार्रवाई की और न्यायालय को अपनी जांच के बारे में नियमित रूप से अपडेट किया।

माधबी पुरी बुच का रिकॉर्ड और पृष्ठभूमि:
माधबी पुरी बुच ने मार्च 2022 में सेबी की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला था। अध्यक्ष बनने से पहले, वह सेबी की पूर्णकालिक सदस्य भी रह चुकी थीं। उनका वित्तीय बाजारों और नियामक मामलों में गहरा अनुभव है। उन्होंने भारतीय प्रतिभूति बाजार में कई महत्वपूर्ण सुधारों को लागू करने में भूमिका निभाई है।

आगे क्या?
लोकपाल द्वारा दी गई यह क्लीन चिट माधबी पुरी बुच और सेबी के लिए एक बड़ी राहत है, खासकर ऐसे समय में जब नियामक निकाय पर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे। यह फैसला सेबी की विश्वसनीयता को मजबूत करता है और यह दर्शाता है कि नियामक निकाय अपने कर्तव्यों का पालन निष्पक्षता से कर रहा है।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि लोकपाल का यह फैसला सेबी अध्यक्ष के व्यक्तिगत आचरण से संबंधित है, न कि हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए मूल आरोपों से। सेबी अपनी जांच जारी रखे हुए है, और सर्वोच्च न्यायालय भी इस मामले की निगरानी कर रहा है। हिंडनबर्ग-अडानी मामले में अंतिम निष्कर्ष अभी आना बाकी है, लेकिन लोकपाल का यह निर्णय एक महत्वपूर्ण न्यायिक विकास है जो नियामक प्रमुख को आरोपों से मुक्त करता है।

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