Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

मध्य प्रदेश में बिजली उपभोग की दिशा में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अगस्त 2025 से राज्य में प्रीपेड बिजली व्यवस्था की शुरुआत होने जा रही है। इस नई प्रणाली के तहत, घरों में बिजली तभी जलेगी जब मीटर रिचार्ज कराया जाएगा, ठीक वैसे ही जैसे मोबाइल रिचार्ज होता है। पहले चरण में यह व्यवस्था केवल सरकारी कार्यालयों में लागू होगी, जिसके बाद आम उपभोक्ताओं को भी इस रिचार्ज-आधारित बिजली सेवा से जोड़ा जाएगा।

चरणबद्ध तरीके से लागू होगी योजना:
पहले चरण में, मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत आने वाले मालवा-निमाड़ क्षेत्र के लगभग 10,000 सरकारी कार्यालयों को प्रीपेड मीटर सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इनमें अकेले इंदौर के 1,550 सरकारी कार्यालय शामिल हैं। योजना के तहत, दिसंबर 2025 तक इस क्षेत्र के सभी 50,000 सरकारी दफ्तरों को पूरी तरह से प्रीपेड व्यवस्था में शामिल कर लिया जाएगा। सरकार ने यह भी तय किया है कि निर्धारित समय-सीमा के भीतर प्रदेश के हर सरकारी कार्यालय में यह नई बिजली व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू की जाए। यह बदलाव न केवल प्रशासनिक खर्चों पर नियंत्रण रखेगा, बल्कि ऊर्जा दक्षता को भी बढ़ावा देगा।

दिसंबर 2025 के बाद दूसरा चरण शुरू किया जाएगा, जिसमें आम उपभोक्ताओं को प्रीपेड बिजली सिस्टम पर शिफ्ट किया जाएगा। इस चरण में सबसे पहले वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, औद्योगिक इकाइयों और अधिक लोड वाले कनेक्शनों को जोड़ा जाएगा, जिसके बाद घरेलू उपभोक्ताओं को धीरे-धीरे इस आधुनिक प्रणाली में शामिल किया जाएगा।

सरकारी कार्यालयों के लिए अग्रिम भुगतान, आम उपभोक्ताओं के लिए रिचार्ज:
प्रीपेड बिजली व्यवस्था के तहत, सरकारी दफ्तरों को अपनी बिजली खपत का दो महीने का बिल एडवांस में जमा करना होगा। इसके लिए संबंधित अधिकारी की अनुमति से विभाग के कोषाधिकारी (अकाउंट ऑफिसर) यह भुगतान बिजली कंपनी को करेंगे। बिजली वितरण जोन और केंद्र के अधिकारी 30 जुलाई तक कोषाधिकारी को इस बारे में जानकारी भेज देंगे। इसके बाद कोषाधिकारी मांगी गई दो महीने की राशि सीधे बिजली कंपनी को ट्रांसफर कर देंगे। इस प्रक्रिया से बिजली कंपनी को शुरुआत में दो महीने की एडवांस राशि मिल जाएगी, उसके बाद हर महीने, जितनी बिजली खपत होगी, उतना ही बिल लिया जाएगा।

प्रीपेड बिजली व्यवस्था आम उपभोक्ताओं के लिए पूरी तरह से मोबाइल या वाई-फाई रिचार्ज जैसे सिस्टम पर आधारित होगी। उन्हें सरकारी कार्यालयों की तरह दो महीने का अग्रिम बिल जमा नहीं करना पड़ेगा, बल्कि बिजली उपयोग करने से पहले रिचार्ज कराना होगा। रिचार्ज के अनुसार उपभोक्ता बिजली का उपयोग कर सकेंगे, और हर दिन की खपत के आधार पर बैलेंस घटता रहेगा। उपभोक्ताओं को बैलेंस की जानकारी मोबाइल ऐप या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए आसानी से उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे वे अपनी खपत को नियंत्रण में रख सकेंगे।

छूट और जुर्माने का प्रावधान:
इस सुविधा के लिए मौजूदा स्मार्ट मीटर का ही उपयोग होगा, मीटर नहीं बदले जाएंगे। इस पर 25 पैसे प्रति यूनिट की छूट भी उपभोक्ताओं को मिलेगी। सरकार की ओर से सब्सिडी भी जारी रहेगी।

बिजली कंपनियों को केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि 2025 के अंत तक कम से कम 50% बिजली कनेक्शन प्रीपेड मोड पर शिफ्ट किए जाएं। बिजली कंपनी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अगर निर्धारित समय-सीमा तक यह लक्ष्य पूरा नहीं होता, तो कंपनियों पर पेनल्टी लगाई जाएगी।

सरकार का उद्देश्य है कि ऊर्जा की दक्षता बढ़े और खपत पर नियंत्रण रखा जा सके, इसलिए प्रीपेड स्मार्ट मीटर को तेजी से लागू करने का निर्णय लिया गया है। यह व्यवस्था उपभोक्ताओं को अपनी बिजली खपत पर निगरानी रखने और अनावश्यक व्यय से बचने में मदद करेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp