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BY: Yoganand Shrivastva

भोपाल, भोपाल का ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज (ROB) अपने 90 डिग्री के अंधे मोड़ की वजह से सुर्खियों में है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह इकलौता खतरनाक डिजाइन नहीं है। राजधानी में पिछले कुछ वर्षों में बने कई फ्लाइओवर और ओवरब्रिज ऐसे हैं, जिनकी इंजीनियरिंग योजनाओं में गंभीर खामियाँ पाई गई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ये डिजाइन न केवल ट्रैफिक को असुविधाजनक बनाते हैं बल्कि भविष्य में जानलेवा हादसों का कारण भी बन सकते हैं।


ऐशबाग ROB: अंधा मोड़, कमजोर फुटपाथ और सुरक्षा में बड़ी चूक

रेलवे लाइन के ऊपर बने ऐशबाग ओवरब्रिज को जोड़ने के लिए जहां 200 से 300 मीटर का कर्व जरूरी था, वहां इंजीनियरों ने सीधे 90 डिग्री का तीव्र मोड़ बना डाला। यह न सिर्फ भारतीय सड़क मानकों के खिलाफ है, बल्कि बड़े वाहनों के लिए बेहद असुरक्षित भी है। तेज रफ्तार में गुजरते छोटे वाहन भी यहां से फिसल सकते हैं। इसके अतिरिक्त, पुल पर बना फुटपाथ मात्र ढाई फीट चौड़ा है, जो अंत में दो फीट से भी कम रह जाता है — जबकि मानकों के अनुसार यह कम से कम 3 फीट होना चाहिए।


आंबेडकर फ्लाइओवर: रेड लाइट पर सीधी उतराई, हर पल टक्कर का खतरा

करीब 126 करोड़ रुपये की लागत से बने डॉ. भीमराव आंबेडकर फ्लाइओवर को लेकर भी कई सवाल खड़े हो चुके हैं। इसकी एक भुजा सीधे भोपाल हाट चौराहे की रेड लाइट पर उतरती है, जहां हर समय भारी ट्रैफिक रहता है। न तो वहाँ रोटरी दी गई है, न ही कोई ट्रैफिक गाइडेंस सिस्टम — जिससे आमने-सामने की टक्कर की आशंका बनी रहती है। गणेश मंदिर की तरफ उतरने वाली लेन के बाद कोई सीधा रास्ता नहीं है, जिससे लोग गलत दिशा में जाकर अन्य हादसों को न्योता देते हैं।


बावड़िया कला ROB: सर्विस रोड पर खतरे की लैंडिंग

2019 में लगभग 40 करोड़ की लागत से बना बावड़िया कला आरओबी, नर्मदापुरम जाने वाले रास्ते में सर्विस रोड पर उतरता है — जो सीधे बाग सेवनिया थाना क्षेत्र के पास है। कटारा हिल्स से आने वाला ट्रैफिक जब उलटी दिशा से इस पुल पर चढ़ता है, तो यह एकदम उतरते ट्रैफिक के सामने आ जाता है, जिससे टक्कर की आशंका दोगुनी हो जाती है। साथ ही, दानापानी रोड की ओर जाने वाला मोड़ भी भीड़भाड़ वाले चौराहे पर उतरता है, जहाँ हर दिन जाम लगना आम बात है।


सुधार की गुंजाइश अभी बाकी है

शहरी नियोजन विशेषज्ञ सुयश कुलश्रेष्ठ के अनुसार, ऐशबाग ROB के 90 डिग्री मोड़ को ठीक किया जा सकता है। स्लैब की दूसरी ओर करीब पांच फीट का स्थान मौजूद है, जहाँ से मोड़ को गोल आकार दिया जा सकता है। यदि ऐसा न किया गया, तो कम से कम मोड़ पर रबर ब्रेकर और साइड मिरर लगाकर हादसों को रोका जा सकता है। साथ ही, स्लैब पर उचित स्ट्रीट लाइटिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।


जल्द सुधार नहीं हुआ, तो हादसे तय हैं

भोपाल की सड़कों और पुलों का असंतुलित और असुरक्षित डिजाइन, शहर को भविष्य में कई हादसों की ओर ले जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि नियोजन की खामियों को जल्द ठीक न किया गया, तो इन पुलों को पार करना लोगों की जान जोखिम में डालने जैसा होगा।

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