भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट: 1996 के बाद सबसे खराब स्थिति
बाजार सूचकांक में भारी नुकसान
फरवरी 2025 में भारतीय शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल देखने को मिली। सेंसेक्स में 4,000 से अधिक अंकों की गिरावट आई, जो महीने के लिए 5% की कमी को दर्शाता है। बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण से 40 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। दूसरी ओर, निफ्टी 50 ने लगातार पांचवें महीने गिरावट दर्ज की, जो 1996 में इसकी शुरुआत के बाद सबसे लंबी नकारात्मक रुझान है। निवेशकों का मनोबल कमजोर हुआ है, और बाजार की सेहत को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।

निफ्टी और सेंसेक्स का प्रदर्शन
शुक्रवार, 28 फरवरी को बाजार के लिए विशेष रूप से कठिन दिन रहा। सेंसेक्स 1,400 अंक गिरकर 73,189 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50, 22,150 के स्तर से नीचे आ गया। मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों में भी मार्च 2020 के बाद सबसे खराब प्रदर्शन देखा गया, जिसमें क्रमशः 11% और 13% की गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी स्मॉलकैप सूचकांक दिसंबर 2024 के अपने उच्चतम स्तर से 25% नीचे आ चुका है।
ट्रेडिंग गतिविधियों में कमी: जीरोधा के निथिन कामथ की चेतावनी
ट्रेडिंग वॉल्यूम में भारी गिरावट
जीरोधा के संस्थापक और सीईओ निथिन कामथ ने बाजार में ट्रेडिंग गतिविधियों में भारी कमी की ओर इशारा किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “बाजार में अंततः सुधार हो रहा है। चूंकि बाजार चरम सीमाओं के बीच झूलता रहता है, यह उतना ही नीचे जा सकता है जितना ऊपर गया था। मुझे नहीं पता कि बाजार आगे कहां जाएगा, लेकिन ब्रोकिंग उद्योग के बारे में बता सकता हूं। ट्रेडरों की संख्या और वॉल्यूम में भारी कमी देखी जा रही है। सभी ब्रोकरों में गतिविधियों में 30% से अधिक की गिरावट आई है।”
15 साल में पहली बार नकारात्मक वृद्धि
कामथ ने एक चिंताजनक बात पर प्रकाश डाला कि पिछले 15 वर्षों में पहली बार ब्रोकिंग उद्योग में नकारात्मक वृद्धि (डिग्रोथ) देखी जा रही है। उन्होंने कहा, “वॉल्यूम का सूखना यह दिखाता है कि भारतीय बाजार अभी भी कितने सीमित हैं। गतिविधियां मुख्य रूप से 1-2 करोड़ भारतीय निवेशकों के छोटे समूह तक ही सीमित हैं।”
सरकारी राजस्व पर प्रभाव
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह रुझान जारी रहा, तो सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) से सरकार का राजस्व आधा हो सकता है। कामथ के अनुसार, “अगर यह स्थिति बनी रही, तो वित्त वर्ष 25/26 में सरकार को एसटीटी से 40,000 करोड़ रुपये भी नहीं मिलेंगे, जो 80,000 करोड़ रुपये के अनुमान से कम से कम 50% कम है।”
विदेशी निवेशकों का बाजार से पलायन
एफआईआई की भारी बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने पिछले सप्ताह भारतीय इक्विटी से 22,011 करोड़ रुपये निकाले, जिसमें से 11,639 करोड़ रुपये की निकासी अकेले 28 फरवरी को हुई। इस बिकवाली के पीछे कई कारण थे, जैसे ऊंचे मूल्यांकन की चिंता, अमेरिकी बाजारों में बिकवाली, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए व्यापारिक शुल्कों का डर।
वैश्विक संकेतों का असर
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के सीनियर वीपी (रिसर्च) प्रशांत तापसे ने कहा, “घरेलू निवेशकों में घबराहट फैल गई और उन्होंने इक्विटी को बेतहाशा बेचा। कमजोर वैश्विक संकेतों ने बेंचमार्क सूचकांकों में लगभग 2% की गिरावट को बढ़ावा दिया। ट्रम्प के कई देशों पर आयात शुल्क की घोषणा से निवेशकों में असहजता बढ़ गई है।”
क्या बाजार में सुधार की उम्मीद है?
तकनीकी सुधार या गहरी समस्या?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट एक मजबूत रिकवरी का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। मार्केट सलाहकार फर्म मेरीसिस का कहना है कि मौजूदा गिरावट अंतिम चरण में हो सकती है, जिसके बाद अगले 4-6 हफ्तों में उछाल संभव है। जेफरीज के ग्लोबल इक्विटी रणनीतिकार क्रिस वुड ने भी कहा, “पहली बार ऐसा लग रहा है कि यह बिकवाली मुख्य रूप से तकनीकी है, जो मूल्य संपीड़न को दर्शाती है, न कि किसी बड़े आर्थिक संकट का परिणाम।”
भविष्य की दिशा
बाजार की दिशा अब वैश्विक कारकों, खासकर अमेरिकी बाजारों और व्यापार नीतियों पर निर्भर करेगी। यदि विदेशी निवेशक आक्रामक बिकवाली जारी रखते हैं, तो गिरावट बढ़ सकती है। लेकिन अगर यह तकनीकी कारणों से हुई है, तो जल्द ही सुधार की उम्मीद की जा सकती है। निवेशकों के सामने अब यह सवाल है कि क्या उन्हें और नुकसान के लिए तैयार रहना चाहिए या रिकवरी की उम्मीद करनी चाहिए।
निष्कर्ष
फरवरी 2025 में भारतीय शेयर बाजार ने अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना किया। निथिन कामथ की टिप्पणियों और बाजार के आंकड़ों से पता चलता है कि यह संकट केवल अस्थायी नहीं हो सकता। निवेशकों को सतर्क रहना होगा, क्योंकि बाजार का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।
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