by-Ravindra Sikarwar
नई दिल्ली: केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सज़ा से बचाने के भारत सरकार के सभी राजनयिक और मानवीय प्रयास अब तक सफल नहीं हो पाए हैं. केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने इस मामले में अपनी सभी शक्तियों का उपयोग कर लिया है और अब इससे अधिक कुछ कर पाना संभव नहीं है. बताया जा रहा है कि यमन के अधिकारी ‘सम्मान’ को गैर-परक्राम्य (non-negotiable) मान रहे हैं, जिससे ‘ब्लड मनी’ की राशि बढ़ाने पर भी स्थिति बदलने की उम्मीद कम है.
यमन की जेल में बंद निमिषा प्रिया के भाग्य का फैसला होना बाकी है. वह अपने यमनी नियोक्ता की हत्या के आरोप में मौत की सज़ा काट रही है, हालांकि उसका दावा है कि यह कृत्य उसने आत्मरक्षा में किया था. परिवार के लिए यह एक दर्दनाक गाथा बन गई है.
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ को मामले की गंभीर वास्तविकता से अवगत कराया. उन्होंने कहा, “बातचीत के रास्ते भी आजमाए गए हैं. भारत सरकार एक निश्चित सीमा तक ही जा सकती है, और हम उस सीमा तक पहुँच चुके हैं.”
वेंकटरमणि ने खुलासा किया कि सरकार ने राजनयिक प्रतिक्रिया से बचने के लिए सार्वजनिक तौर पर शोर मचाए बिना, निमिषा के लिए दया की बातचीत करने के लिए एक प्रभावशाली शेख को भी शामिल किया था. उन्होंने यमन के लोक अभियोजक से उसकी फांसी को निलंबित करने की गुहार लगाई, लेकिन हर प्रयास विफल रहा है. अटॉर्नी जनरल ने पीठ को बताया, “यमन सरकार को कुछ भी मायने नहीं रखता. हमें एक अनौपचारिक सूचना मिली थी कि फांसी को स्थगित कर दिया जाएगा, लेकिन हमें नहीं पता कि यह काम करेगा या नहीं.”
जब जस्टिस मेहता ने बताया कि निमिषा के परिवार और शुभचिंतकों ने ब्लड मनी (शरई कानून के तहत मुआवजा जिससे मौत की सज़ा कम की जा सकती है) जुटा ली है, तो अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यमन के अधिकारी अभी भी झुकने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि वे ‘सम्मान’ को गैर-परक्राम्य बताते हैं. उन्होंने कहा, “हमें नहीं पता कि अधिक पैसे से यह बदल जाएगा या नहीं. लेकिन फिलहाल, यह रुका हुआ है.” उन्होंने यह भी बताया कि अदालत में मौजूद संयुक्त सचिव (खाड़ी मामले) ने स्वयं किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी दी.
अटॉर्नी जनरल ने यमन के साथ भारत के राजनयिक संबंधों की संवेदनशीलता पर जोर दिया, यह कहते हुए कि यह दुनिया का कोई अन्य देश नहीं है जिसके साथ भारत आसानी से बातचीत कर सके. हालांकि, उन्होंने कहा कि हर संभव प्रयास जारी हैं.
हालांकि, इस मामले में याचिका दायर करने वाले और ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ नामक संगठन की ओर से पेश हुए वकील ने सरकार से अपनी सीमाओं से आगे बढ़कर प्रयास करने का आग्रह किया. वकील ने कहा, “नेक लोग मदद करने को तैयार हैं, लेकिन यमन तो यमन है. हम तो और अधिक ब्लड मनी देने को भी तैयार हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी न्यायिक सीमाओं से अवगत होते हुए भी मामले को खारिज करने से इनकार कर दिया और इसे शुक्रवार, 18 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. अदालत ने केंद्र से मामले की अद्यतन स्थिति से अवगत कराने को कहा है.
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यमनी अधिकारियों के साथ हस्तक्षेप करने और निमिषा प्रिया को फांसी से बचाने का आग्रह किया था. मुख्यमंत्री के पत्र में कहा गया था कि केरल की नर्स का मामला सहानुभूति के योग्य है.