
भारत सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को समाप्त करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाने जा रही है। इस नई योजना के तहत, देश के प्रत्येक पात्र परिवार की एक अद्वितीय डिजिटल पहचान बनाई जाएगी, जो उनके चेहरे पर आधारित होगी। राशन वितरण के समय, लाभार्थी के चेहरे की पहचान करके ही उन्हें अनाज और अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान की जाएंगी।
इस महत्वाकांक्षी योजना का मुख्य उद्देश्य पीडीएस में होने वाली गड़बड़ियों को रोकना है, जिसमें अपात्र लोगों द्वारा राशन का दुरुपयोग और वास्तविक लाभार्थियों तक अनाज का गलत वितरण शामिल है। सरकार का मानना है कि चेहरे की पहचान तकनीक के इस्तेमाल से इस तरह की धोखाधड़ी पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा सकेगा।
इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए एक विशेष मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया जाएगा। यह ऐप सब्सक्रिप्शन मॉडल पर आधारित होगा, जिसे केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को उपलब्ध कराया जाएगा। राशन वितरण के समय, यह ऐप लाभार्थी के चेहरे को स्कैन करके उनकी पहचान की पुष्टि करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि राशन केवल उन्हीं परिवारों को मिले जो इसके लिए वास्तव में पात्र हैं।
इस नई प्रणाली को सबसे पहले मध्य प्रदेश राज्य में लागू किया जाएगा। राज्य सरकार इस परियोजना को ‘मिशन अन्नदाता’ के तहत सक्रिय रूप से समर्थन दे रही है। इस मिशन का व्यापक लक्ष्य न केवल पीडीएस में पारदर्शिता और दक्षता लाना है, बल्कि इसके माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि करने की भी योजना है। माना जा रहा है कि राशन वितरण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने से खाद्यान्न की बर्बादी कम होगी और किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सकेगा।
अधिकारियों का कहना है कि चेहरे की पहचान तकनीक को लागू करने से कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे:
- पहचान की सटीकता: चेहरे की पहचान एक अत्यंत सटीक और विश्वसनीय तरीका है, जिससे गलत पहचान की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी।
- फर्जी लाभार्थियों पर रोक: डुप्लीकेट या फर्जी राशन कार्डों का उपयोग करके राशन प्राप्त करने वाले तत्वों पर प्रभावी अंकुश लगेगा।
- पारदर्शिता में वृद्धि: पूरी वितरण प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हो जाएगी, जिससे डीलर और लाभार्थियों के बीच होने वाली संभावित मिलीभगत को रोका जा सकेगा।
- दस्तावेजों की आवश्यकता समाप्त: लाभार्थियों को राशन प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार के भौतिक दस्तावेज, जैसे पर्ची या पहचान पत्र, ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
- तकनीकी समाधान: यह तकनीक नकली आधार नंबर या फिंगरप्रिंट के माध्यम से होने वाली धोखाधड़ी को भी रोकने में कारगर साबित होगी।
हालांकि, इस योजना को लागू करने में कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं, जिन पर सरकार को ध्यान देना होगा। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या, सभी राशन की दुकानों पर आवश्यक तकनीकी उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करना और लाभार्थियों को इस नई प्रणाली के बारे में जागरूक करना शामिल है।
मध्य प्रदेश सरकार का खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग इन चुनौतियों से निपटने के लिए चरणबद्ध रणनीति पर काम कर रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ जिलों में इस प्रणाली को लागू करने के बाद, प्राप्त अनुभवों के आधार पर इसे पूरे राज्य में विस्तारित किया जाएगा।
भारत सरकार का यह कदम पीडीएस को अधिक कुशल, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यदि यह योजना सफलतापूर्वक कार्यान्वित होती है, तो यह न केवल करोड़ों गरीब परिवारों को उनके हक का राशन सुनिश्चित करेगी, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होगी। ‘मिशन अन्नदाता’ के तहत इस पहल को मध्य प्रदेश में लागू करना, राज्य सरकार की किसानों और आम नागरिकों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।