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by-Ravindra Sikarwar

मध्य प्रदेश अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम (MPUVN) ने राज्य में कृषि फीडरों के सोलराइजेशन (सौर ऊर्जा से संचालित करना) के लिए 1200 मेगावाट (MW) की सौर ऊर्जा परियोजनाओं हेतु बोलियां (bids) आमंत्रित की हैं। इस पहल का उद्देश्य किसानों को दिन के समय पर्याप्त और सस्ती बिजली उपलब्ध कराना, डीजल पंपों पर निर्भरता कम करना और कृषि क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को घटाना है।

कृषि फीडर सोलराइजेशन का महत्व:
कृषि फीडरों का सोलराइजेशन एक ऐसी योजना है जिसके तहत खेतों को बिजली प्रदान करने वाले मौजूदा बिजली लाइनों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जाता है। इसका अर्थ यह है कि किसान अब पारंपरिक ग्रिड बिजली के बजाय सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों से सिंचाई कर सकेंगे। यह पहल कई मायनों में महत्वपूर्ण है:

  1. किसानों को दिन में बिजली: वर्तमान में, किसानों को अक्सर रात के समय या अनियमित घंटों में बिजली मिलती है, जिससे सिंचाई में समस्या आती है। सौर ऊर्जा से दिन के समय लगातार बिजली मिलने से किसान अपनी फसलों की समय पर और पर्याप्त सिंचाई कर पाएंगे, जिससे कृषि उत्पादकता बढ़ेगी।
  2. लागत में कमी: डीजल पंपों का उपयोग महंगा होता है और इसकी लागत लगातार बढ़ती रहती है। सौर ऊर्जा एक बार के निवेश के बाद लगभग मुफ्त बिजली प्रदान करती है, जिससे किसानों की सिंचाई लागत में भारी कमी आएगी।
  3. पर्यावरण संरक्षण: सौर ऊर्जा एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। डीजल के उपयोग से होने वाले प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे पर्यावरण को लाभ होगा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी।
  4. राज्य के बिजली ग्रिड पर बोझ कम: कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के उपयोग से राज्य के बिजली ग्रिड पर पड़ने वाला भार कम होगा। इससे बिजली वितरण कंपनियों को भी लाभ होगा और वे अन्य क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति बेहतर ढंग से कर पाएंगी।
  5. आत्मनिर्भरता और सुरक्षा: किसान अपनी सिंचाई जरूरतों के लिए बाहरी ऊर्जा स्रोतों पर कम निर्भर होंगे, जिससे उन्हें अधिक ऊर्जा सुरक्षा मिलेगी।

परियोजना का विवरण और लक्ष्य:
MPUVN द्वारा आमंत्रित ये बोलियां ‘बिल्ड, ओन, ऑपरेट’ (BOO) मॉडल पर आधारित हैं। इसका मतलब है कि सफल बोलीदाता इन सौर ऊर्जा परियोजनाओं का निर्माण करेंगे, उनका स्वामित्व रखेंगे और उन्हें निर्धारित अवधि (आमतौर पर 25 वर्ष) के लिए संचालित करेंगे। इसके बाद वे उत्पादित बिजली को राज्य डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) को बेचेंगे।

1200 मेगावाट का यह लक्ष्य मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र को सौर ऊर्जा से जोड़ने की राज्य की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। इस परियोजना से राज्य के विभिन्न हिस्सों में कृषि फीडरों को कवर किया जाएगा, जिससे हजारों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। यह पहल केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) योजना के उद्देश्यों के अनुरूप भी है, जिसका लक्ष्य किसानों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

मध्य प्रदेश में अक्षय ऊर्जा का बढ़ता महत्व:
मध्य प्रदेश सरकार अक्षय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। राज्य ने पहले भी कई बड़े सौर ऊर्जा पार्क स्थापित किए हैं, जिनमें रीवा अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजना प्रमुख है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी सौर परियोजनाओं में से एक माना जाता है। कृषि फीडरों का सोलराइजेशन इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जो राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा और किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा।

इस पहल से न केवल किसानों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि यह मध्य प्रदेश को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा। बोलियां आमंत्रित किए जाने के बाद, अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कितनी कंपनियां इस महत्वाकांक्षी परियोजना में भाग लेती हैं और कैसे यह योजना धरातल पर उतरती है।

यह कदम मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र और पर्यावरण दोनों के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। क्या आप जानना चाहेंगे कि ऐसी परियोजनाओं से किसानों को और कौन से अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकते हैं?

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