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नई दिल्ली – राउज एवेन्यू कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन द्वारा बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज के खिलाफ दर्ज की गई आपराधिक मानहानि की शिकायत को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने बताया कि शिकायतकर्ता जैन और बांसुरी स्वराज अलग-अलग राजनीतिक दलों के सदस्य हैं, जिससे एक-दूसरे के विरोधी दल की कमजोरियों को उजागर करना एक आम राजनैतिक रणनीति समझी जाती है।

कोर्ट ने आगे कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में विरोधी दल की कमियों को सार्वजनिक करना नेताओं की जिम्मेदारी है। इसी संदर्भ में, न्यायपालिका का कर्तव्य है कि वह ऐसे बयानों और मानहानिकारक टिप्पणियों के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए मौलिक अभिव्यक्ति के अधिकार की सुरक्षा करे।

शिकायत में सत्येंद्र जैन ने आरोप लगाया था कि बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने 5 अक्टूबर, 2023 को एक साक्षात्कार के दौरान उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसे लाखों लोगों ने देखा। हालांकि, एडिशनल चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने कहा कि बीएनएस की धारा 356 के अंतर्गत इस मामले में कोई दंडनीय अपराध सिद्ध नहीं होता, जिसके कारण मामले में संज्ञान लेने से इनकार कर दिया गया।

कोर्ट के अनुसार, शिकायत और संलग्न दस्तावेजों में कोई अन्य अपराध का संकेत नहीं मिल रहा है, अतः शिकायत को खारिज कर दिया जाता है। यह ध्यान देने योग्य है कि आपराधिक मानहानि के मामलों में अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है।

शिकायत में, नेता जैन ने आरोप लगाया था कि बांसुरी स्वराज ने झूठा दावा किया कि उनके घर से 1.8 किलोग्राम सोना, 133 सोने के सिक्के और तीन करोड़ रुपए बरामद हुए थे, ताकि उन्हें ‘भ्रष्ट’ और ‘धोखेबाज’ कहकर बदनाम किया जा सके और राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।

लेकिन कोर्ट ने कहा कि स्वराज का बयान पहले से उपलब्ध सार्वजनिक सूचना का पुनरावृत्ति मात्र था, इसलिए इसे शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार, बांसुरी स्वराज के कथन को मानहानि के अपराध के अंतर्गत नहीं लाया जा सकता।

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