
नई दिल्ली, 12 मई 2025: केंद्र सरकार द्वारा ड्रोन उद्योग को बढ़ावा देने की दूरदर्शी नीति ने भारत को अंतरराष्ट्रीय एंटी-ड्रोन बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर दिया है। हाल ही में संपन्न हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से किए गए सैकड़ों ड्रोन हमलों को भारतीय सेना ने जिस कुशलता से नाकाम किया, उसने वैश्विक स्तर पर भारत की एंटी-ड्रोन तकनीक की क्षमता का लोहा मनवा दिया है। इन हमलों में तुर्की और चीन जैसे देशों में निर्मित ड्रोन भी शामिल थे।
भारतीय सेना के एक उच्च अधिकारी ने इस सफलता पर टिप्पणी करते हुए कहा, “हमने जिस तरह से उनके बड़े-बड़े और तथाकथित उन्नत ड्रोन को मार गिराया है, उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की तकनीकी श्रेष्ठता को स्थापित किया है। युद्ध के मैदान में बेहतर तकनीक निर्णायक भूमिका निभाती है, और हमने अधिकांश ड्रोन को ‘सॉफ्ट किल’ तकनीक का उपयोग करके ही निष्क्रिय कर दिया।”
एंटी-ड्रोन सिस्टम मुख्य रूप से दो तरीकों से काम करते हैं: ‘हार्ड किल’ और ‘सॉफ्ट किल’। ‘हार्ड किल’ में ड्रोन को देखते ही उसे गोली, स्नाइपर या एंटी-गन जैसे हथियारों से नष्ट किया जाता है, जिसमें भारी मात्रा में गोला-बारूद खर्च होता है। इसके विपरीत, ‘सॉफ्ट किल’ तकनीक में ड्रोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को जाम कर दिया जाता है या उसकी बैटरी को खराब कर दिया जाता है। भारत ने ‘सॉफ्ट किल’ तकनीक में विशेष दक्षता हासिल कर ली है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित ‘डी4’ सिस्टम विशेष रूप से इन ड्रोन को गिराने में अत्यंत सफल साबित हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 में ही ड्रोन तकनीक को ‘गेम चेंजर’ बताते हुए इसके महत्व पर जोर दिया था। इसके बाद से ही सरकार ने इस क्षेत्र को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया। राजधानी दिल्ली में आयोजित ड्रोन महोत्सव और एक साथ हजारों ड्रोन उड़ाने जैसे आयोजनों ने इस तकनीक के प्रति जागरूकता और उत्साह बढ़ाया। सरकार के इस प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप, भारत में बड़ी संख्या में छोटी-छोटी ड्रोन कंपनियां स्थापित हुईं और उन्होंने ऐसे उन्नत एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित किए हैं जो वर्तमान में भारतीय सेना के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हो रहे हैं।
प्रमुख स्वदेशी ड्रोन कंपनियां:
- एल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी
- अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस
- आइडियाफोर्ज
- पारस एयरोस्पेस
- सागर डिफेंस
इन कंपनियों के नवाचारी समाधानों ने भारतीय सेना को न केवल सीमा सुरक्षा में मदद की है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत को एंटी-ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी देशों – अमेरिका और इजरायल – की बराबरी पर ला खड़ा किया है। यह सफलता ‘मेक इन इंडिया’ पहल और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।