by-Ravindra Sikarwar
उज्जैन, मध्य प्रदेश: धर्मनगरी उज्जैन में लगने वाले अगले सिंहस्थ कुंभ मेले की सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। प्रशासन ने निर्णय लिया है कि मेले की व्यापक निगरानी के लिए आधुनिक ड्रोनों का उपयोग किया जाएगा। यह कदम न केवल सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के सुचारू प्रवाह और किसी भी आपात स्थिति से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
क्यों है ड्रोन निगरानी की आवश्यकता?
सिंहस्थ मेला, हर 12 साल में आयोजित होने वाला एक विशाल धार्मिक समागम है, जहाँ देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पवित्र शिप्रा नदी में स्नान करने और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए एकत्रित होते हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोगों का प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होती है। पारंपरिक निगरानी प्रणालियों की अपनी सीमाएं होती हैं। ड्रोन तकनीक इन सीमाओं को पार कर सकती है, जिससे:
- रियल-टाइम निगरानी: ड्रोन आसमान से पूरे मेला क्षेत्र का वास्तविक समय में लाइव फुटेज प्रदान करेंगे। इससे भीड़ की गतिशीलता, जमावड़ों और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत नज़र रखी जा सकेगी।
- भीड़ नियंत्रण: मेला क्षेत्रों में जहाँ भारी भीड़ होती है, ड्रोन भीड़ के घनत्व का आकलन कर सकते हैं और पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने या नए रास्तों पर मोड़ने में मदद कर सकते हैं।
- आपराधिक गतिविधियों पर रोक: जेबकतरों, असामाजिक तत्वों या अन्य आपराधिक गतिविधियों पर ड्रोन की पैनी नजर रहेगी, जिससे अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी।
- खोए हुए व्यक्तियों की तलाश: मेले में बच्चों या बुजुर्गों के खो जाने की घटनाएं आम हैं। ड्रोन की मदद से ऐसे व्यक्तियों को जल्द से जल्द खोजने में सहायता मिलेगी।
- आपदा प्रबंधन: किसी भी आपदा, जैसे भगदड़ या आग लगने की स्थिति में, ड्रोन प्रभावित क्षेत्र का त्वरित आकलन कर बचाव दलों को सटीक जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
- रूट मैपिंग और पार्किंग: ड्रोन का उपयोग मेला क्षेत्र के प्रवेश और निकास मार्गों, पार्किंग स्थलों और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं की मैपिंग और निगरानी के लिए भी किया जा सकता है।
ड्रोन तकनीक का उपयोग कैसे होगा?
उज्जैन प्रशासन ने इस परियोजना के लिए विशेषज्ञ ड्रोन ऑपरेटरों और तकनीकी टीमों को शामिल करने की योजना बनाई है। इन ड्रोनों में उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले कैमरे, थर्मल इमेजिंग क्षमताएं और कभी-कभी लाउडस्पीकर भी लगे होंगे, जिनका उपयोग भीड़ को निर्देश देने के लिए किया जा सकता है। फुटेज को एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष में लाइव स्ट्रीम किया जाएगा, जहाँ विशेषज्ञ 24 घंटे निगरानी करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत जमीनी टीमों को सूचित करेंगे।
कुछ ड्रोन तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और फेस रिकॉग्निशन जैसी तकनीकों से भी लैस हो सकते हैं, जो संदिग्ध व्यवहार या पूर्व-निर्धारित चेहरों की पहचान करने में मदद करेंगे। हालांकि, ऐसी तकनीकों के उपयोग पर निजता संबंधी चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाएगा।
चुनौतियाँ और समाधान:
ड्रोन निगरानी व्यवस्था में कुछ चुनौतियाँ भी हो सकती हैं, जैसे:
- बैटरी लाइफ: लंबे समय तक निरंतर निगरानी के लिए पर्याप्त बैटरी लाइफ या चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होगी।
- मौसम की स्थिति: तेज हवाएं या बारिश ड्रोनों के संचालन को प्रभावित कर सकती हैं।
- तकनीकी खराबी: किसी भी तकनीकी खराबी से निपटने के लिए बैकअप ड्रोन और त्वरित रखरखाव टीमें तैयार रखनी होंगी।
- निजता संबंधी चिंताएं: बड़ी संख्या में लोगों की निगरानी से निजता के उल्लंघन की चिंताएं पैदा हो सकती हैं, जिसके लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और प्रोटोकॉल स्थापित करने होंगे।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रशासन विभिन्न तकनीकी समाधानों और सख्त संचालन प्रक्रियाओं पर काम कर रहा है।
एक आधुनिक और सुरक्षित सिंहस्थ की ओर:
सिंहस्थ मेले की ड्रोन से निगरानी का निर्णय उज्जैन प्रशासन की दूरदर्शिता को दर्शाता है। यह कदम न केवल मेले की सुरक्षा को अभूतपूर्व रूप से मजबूत करेगा, बल्कि इसे एक आधुनिक और सुव्यवस्थित आयोजन बनाने में भी मदद करेगा। यह तकनीक भविष्य में बड़े सार्वजनिक आयोजनों के प्रबंधन के लिए एक मिसाल कायम कर सकती है।