FILE- In this June 26, 2019 file photo, Indian protesters shout slogans as they hold placards and candles during a protest condemning mob lynching of Muslim youth Tabrez Ansari in Jharkhand state, in New Delhi, India. Dozens of Indian celebrities have asked Prime Minister Narendra Modi to intervene and stop rising incidents of attacks on minorities, misuse of religion by Hindu hard-liners and intolerance against dissent in the country. (AP Photo/Altaf Qadri, File)
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by-Ravindra Sikarwar

रांची: झारखंड में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ अपनी पत्नी की हत्या के आरोपी एक व्यक्ति को ग्रामीणों की गुस्साई भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। यह घटना राज्य में कानून व्यवस्था और भीड़ द्वारा न्याय करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

घटना का विवरण:
मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना झारखंड के एक दूरदराज के गाँव में हुई। बताया जाता है कि आरोपी व्यक्ति ने कुछ दिन पहले अपनी पत्नी की बेरहमी से हत्या कर दी थी। पत्नी की हत्या के बाद से वह फरार था। पुलिस मामले की जाँच कर रही थी, लेकिन ग्रामीणों को यह खबर मिली कि वह व्यक्ति गाँव में छिपा हुआ है।

खबर फैलते ही, गाँव के लोग आक्रोशित हो उठे। बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गए और आरोपी की तलाश शुरू कर दी। जब उन्हें आरोपी मिला, तो भीड़ ने उस पर हमला कर दिया। ग्रामीणों के हाथ में लाठियाँ और डंडे थे और उन्होंने उसे बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया।

पुलिस की प्रतिक्रिया:
स्थानीय पुलिस को जैसे ही घटना की सूचना मिली, वे तुरंत मौके पर पहुँचे। हालांकि, जब तक पुलिस वहाँ पहुँचती, तब तक आरोपी गंभीर रूप से घायल हो चुका था। पुलिस ने उसे तुरंत अस्पताल पहुँचाया, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

पुलिस ने इस मामले में हत्या और मॉब लिंचिंग, दोनों एंगल से जाँच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि उन्होंने कुछ लोगों की पहचान की है जो इस घटना में शामिल थे और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस ने ग्रामीणों से कानून को अपने हाथ में न लेने की अपील की है।

कानून व्यवस्था पर सवाल:
इस घटना ने एक बार फिर मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह कोई पहली घटना नहीं है जब झारखंड में भीड़ द्वारा किसी को पीट-पीटकर मार डाला गया हो। इस तरह की घटनाएँ समाज में बढ़ती असहिष्णुता और कानून के प्रति लोगों के घटते विश्वास को दर्शाती हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि लोग न्याय के लिए कानून का सहारा लें, न कि खुद ही फैसला सुना दें।

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