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छपरा/पटना: बिहार के छपरा जिले के नारायणपुर गांव के दो वीर सपूत, शहीद मोहम्मद इम्तियाज और उनके भाई मुस्तफा, आज हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक हैं। इन दोनों भाइयों ने न केवल देश की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया, बल्कि उनकी देशभक्ति की भावना इतनी प्रबल है कि उन्होंने अपने घर का नाम ‘सीमा प्रहरी निवास’ रखा।

पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद हुए इम्तियाज:
बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के आरएस पुरा सेक्टर में 9 मई की शाम को पाकिस्तान की सेना द्वारा किए गए संघर्ष विराम उल्लंघन के दौरान हुई गोलीबारी में शहीद हो गए। उनकी शहादत ने पूरे गांव और परिवार को गहरा शोक पहुंचाया है, लेकिन साथ ही उनकी बहादुरी और देश के प्रति समर्पण पर गर्व भी है।

शहीद इम्तियाज का देशभक्त परिवार:
शहीद मोहम्मद इम्तियाज का परिवार देशभक्ति की एक अनूठी मिसाल है। उनके छोटे भाई मुस्तफा भी बीएसएफ में तैनात हैं और वर्तमान में मेघालय में बांग्लादेश सीमा पर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। इम्तियाज तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके मंझले भाई भी बीएसएफ में कार्यरत हैं, जबकि सबसे छोटे भाई निजी क्षेत्र में नौकरी करते हैं। इस प्रकार, एक भाई ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, जबकि दूसरा सीमा पर देश की सेवा में तत्पर है।

‘सीमा प्रहरी निवास’: देशभक्ति का जीवंत उदाहरण:
मोहम्मद इम्तियाज और मुस्तफा ने बचपन से ही सेना की वर्दी पहनने का सपना देखा था। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने इस सपने को साकार किया। जब दोनों भाई बीएसएफ में भर्ती हुए, तो उन्होंने मिलकर अपने गांव में एक घर बनवाया और उसका नाम ‘सीमा प्रहरी निवास’ रखा। यह नाम उनकी अटूट देशभक्ति और देश सेवा के प्रति उनके गहरे सम्मान को दर्शाता है।

भाई की शहादत पर मुस्तफा का दृढ़ संकल्प:
अपने बड़े भाई की शहादत की खबर मिलते ही मुस्तफा छुट्टी लेकर तुरंत गांव पहुंचे। नम आंखों से उन्होंने कहा कि यह परिवार के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान है, लेकिन उन्हें अपने भाई पर गर्व है। उन्होंने पाकिस्तान की इस कायराना हरकत की कड़ी निंदा की और कहा कि देश उनके भाई की शहादत को कभी व्यर्थ नहीं जाने देगा। मुस्तफा ने यह भी कहा कि वह पहले से भी अधिक दृढ़ संकल्प के साथ देश सेवा में लगे रहेंगे और उनकी दिली तमन्ना है कि उनके बेटे भी देश की सेवा में ही जाएं।

शहीद इम्तियाज को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई:
शहीद मोहम्मद इम्तियाज का पार्थिव शरीर आज बिहार लाया जाएगा। पटना एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद, उनके पैतृक गांव नारायणपुर (गढ़खा थाना क्षेत्र, सारण जिला) में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शहीद इम्तियाज के बलिदान पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि देश हमेशा उनकी शहादत को याद रखेगा।

गांव वालों को गर्व:
नारायणपुर गांव के लोगों को शहीद मोहम्मद इम्तियाज और उनके भाई मुस्तफा पर बहुत गर्व है। उनका कहना है कि एक ही परिवार के दो भाइयों ने फौज में भर्ती होकर गांव का नाम रोशन किया है। ग्रामीणों के अनुसार, मोहम्मद इम्तियाज में बचपन से ही देश सेवा का अटूट जज्बा था और वह हमेशा फौज में जाना चाहते थे। उनकी देश सेवा और बलिदान को गांव वाले हमेशा याद रखेंगे।

शहीद मोहम्मद इम्तियाज और उनके भाई मुस्तफा की कहानी देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी देशभक्ति, त्याग और समर्पण हमें यह सिखाता है कि देश की रक्षा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। ‘सीमा प्रहरी निवास’ सिर्फ एक घर का नाम नहीं, बल्कि एक ऐसे परिवार की देशभक्ति की अमर गाथा है जिसने अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया।

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