by-Ravindra Sikarwar
जुलाई 2025 में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में पिछले 16 महीनों की सबसे तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस महीने मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) बढ़कर 59.1 हो गया, जो जून में 58.4 था।
पीएमआई में 50 से ऊपर का स्कोर बढ़ोतरी को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का स्कोर गिरावट को दिखाता है।
एचएसबीसी की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने बताया कि, “नए ऑर्डर्स और उत्पादन में मजबूत वृद्धि के कारण भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को काफी फायदा हुआ है।”
प्रमुख बातें:
- बिक्री में उछाल: कुल बिक्री में पिछले लगभग पाँच सालों में सबसे तेज़ गति से बढ़ोतरी हुई है।
- उत्पादन में वृद्धि: उत्पादन की वृद्धि दर 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है।
- कम हुआ भरोसा: हालाँकि, अगले 12 महीनों में उत्पादन बढ़ने को लेकर कंपनियों का भरोसा पिछले तीन सालों में सबसे कम रहा। यह गिरावट बढ़ती प्रतिस्पर्धा और महंगाई की चिंताओं के कारण हुई है।
- रोज़गार में धीमी वृद्धि: कंपनियों ने नई नियुक्तियाँ तो कीं, लेकिन पिछले आठ महीनों में यह सबसे धीमी दर थी। 93% कंपनियों का मानना था कि मौजूदा ज़रूरतों के लिए उनके पास पर्याप्त कर्मचारी हैं।
भंडारी ने यह भी बताया कि, “व्यापारिक विश्वास कम होने के कारण भारतीय मैन्युफैक्चरर्स ने नवंबर 2024 के बाद से सबसे धीमी गति से अतिरिक्त कर्मचारियों को काम पर रखा।” उन्होंने कहा कि अल्युमिनियम, चमड़े, रबर और स्टील की बढ़ती कीमतों के कारण लागत का दबाव बढ़ गया है।